हिंदू धर्म में रामायण में वर्णित सारे घटनाक्रम सिर्फ एक पौराणिक कथा नहीं है बल्कि ये जीवन का सार है. वैसे तो रामायण में वर्णित गाथा के अनुसार श्रीराम, लक्ष्मण और माता सिता के वनवास के साथ ही रावण के वध जैसी कई घटनाओं के बारे में हम सभी जानते हैं.
भगवान राम को समर्पित कई ग्रंथ लिखे गए हैं पर उन सबमें वाल्मिकि रचित रामायण को ही सबसे ज्यादा प्रामाणिक माना जाता है. दरअसल रामायण में कई ऐसी घटनाएं भी घटी हैं जिनके बारे में आज भी अधिकांश लोग नहीं जानते हैं. लेकिन वाल्मिकि रचित रामायण में कुछ ऐसी घटनाओं का जिक्र मिलता है जो किसी और ग्रंथ में नहीं मिलता.
आज हम वाल्मिकि रामायण में वर्णित दशानन रावण और उसकी बहन शूर्पणखा से संबंधित एक ऐसे प्रसंग के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके बारे में अधिकांश लोग नहीं जानते.
रावण को नलकुबेर ने दिया था श्राप
वाल्मिकि रामायण के अनुसार जब विश्व विजेता बनने की मंशा से रावण स्वर्ग लोक पहुंचा तो वहां रावण की नजर स्वर्ग की अप्सरा रंभा पर पड़ी. रंभा की खूबसूरती को देखते ही रावण की नियत खराब हो गई और उसने अपनी वासना को पूरी करने के लिए रंभा को पकड़ लिए.
रावण के इस कृत्य पर रंभा ने बताया कि आप मेरे साथ ऐसा दुराचार ना करें क्योंकि इस समय मैं आपके बड़े भाई कुबेर के बेटे नलकुबेर की सेवा में हूं और इस तरह मैं आपके लिए पुत्रवधू के समान हूं.
रंभा की इस विनती के बाद भी रावण नहीं माना और रंभा से जबरन दुराचार किया. जब इस बात की भनक नलकुबेर को लगी तो उसने उसी क्षण रावण को श्राप दे दिया कि आगे से रावण अगर किसी स्त्री को बिना उसकी इच्छा के स्पर्श किया तो उसका मस्तक सौ टुकड़ों में खंडित हो जाएगा.
शूर्पणखा चाहती थी रावण का सर्वनाश
रामायण के इस प्रसंग के अनुसार अधिकांश लोग यही जानते हैं कि रावण की बहन शूर्पणखा लक्ष्मण के प्रति आकर्षित थी और उनसे विवाह करना चाहती थी जिसके चलते लक्ष्मण ने उसकी नाक काट दी थी. लक्ष्मण द्वारा नाक काटे जाने के बाद शूर्पणखा के नाम से मशहूर हुई रावण की बहन का असली नाम मीनाक्षी था और बचपन में वो बहुत खूबसूरत थी.
दरअसल रावण ने अपनी बहन मीनाक्षी ऊर्फ शूर्पणखा का विवाह कालकेय राजा के सेनापति विद्युतजिव्ह के साथ कराया था और जब रावण विश्व विजय के लिए निकला तो उसका युद्ध कालकेय से भी हुआ. इस युद्ध के दौरान रावण ने अपनी बहन के पति विद्युतजिव्ह का वध कर दिया.
इससे क्रोधित होकर शूर्पणखा ने उसी समय मन ही मन रावण को श्राप दे दिया कि मेरे ही कारण तेरा सर्वनाश होगा. इस प्रसंग के अनुसार शूर्पणखा का लक्ष्मण या राम के लिए कोई आकर्षण नहीं था बल्कि वह रावण से बदला लेना चाहती थी इसलिए आकर्षण का स्वांग रचाकर उसने लक्ष्मण से अपनी नाक कटवाई और रावण के वध के लिए राम से उसकी दुश्मनी पैदी की.
गौरतलब है कि अपने पति की हत्या के बाद से शूर्पणखा अपने भाई रावण का सर्वनाश चाहती थी और इसके लिए अपनी नाक का बलिदान तक कर दिया ताकि श्रीराम और रावण में शत्रुता हो जाए और रावण का सर्वनाश हो जाए.