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शिवाजी महाराज के 5 ऐसे निर्णय जिनकी वजह से गूंज उठा था हर-हर महादेव का राग ! सफलता के इन मन्त्रों को घोल कर पी लेना चाहिये हिन्दुओं को

आखिर वह क्या कारण थे कि शिवाजी महाराज के समय में हर जगह भगवा रंग नजर आ रहा था और हर-हर महादेव का राग चारों दिशाओं से सुना जा सकता था?

जब आप शिवाजी जी के पूरे जीवनकाल को पढ़ते हैं तो आपको वहां शिवाजी महाराज के ऐसे कई निर्णय नजर आयेंगे जिनके कारण यह सब संभव हुआ था.

तो आज हम आपके लिए उन्हीं निर्णयों में से 5 प्रमुख निर्णय लायें हैं और आज भी यह बातें हर व्यक्ति को एक सफल व्यक्ति बना सकती हैं-

1.  पुस्तकों में हुए थे बड़े बदलाव

शिवाजी महाराज महसूस कर रहे थे कि 16 सदी में मुस्लिम शासकों ने भारतीय इतिहास के साथ काफी खिलवाड़ किया है और पुस्तकों में भी अरबी शब्द और उर्दूं शब्दों से हमारे युवाओं को बहकाया जा रहा है. एक अनुमान के मुताबिक बाबर और मुग़ल ने तब तक हिन्दुस्थान की कई किताबों में 60 फीसदी हिन्दुस्तानी शब्दों को ही खत्म कर दिया था, इसके कारण युवा उर्दू की तरफ बढ़ रहे थे और उन्हीं का इतिहास पढ़ना शुरू कर रहे थे. मुस्लिम शासकों की इसी चाल को  समझते हुए शिवाजी महाराज ने भारतीय इतिहास वापस किताबों से जोड़ा और यह उनकी बड़ी सफलता थी. कुछ ऐसा ही वर्तमान में हो रहा है जहाँ हमारा अपना इतिहास पुस्तकों से गायब है.

2.  हिन्दू एकजुटता

शिवाजी महाराज ने 15 साल की उम्र में अपनी पहली लड़ाई लड़ी थी और जीती भी थी. इस सफलता के पीछे जो मुख्य कारण हिन्दुओं की एकजुटता थी. शिवाजी महाराज ने अपने स्तर पर हर हिन्दू राजा को खुद से जोड़ने के प्रयास किये. इसका फल यह हुआ कि जो हिन्दू अभी तक अलग-अलग भटक रहे थे वह एक हो गये और एक साथ लड़ने लगे. तो उन्हों ने  हिन्दुओं को एकता का बल दिखाया था.

3.  धर्म रहेगा तो हम रहेंगे

शिवाजी महाराज इस बात को मानते थे कि अगर धर्म रहेगा तो हम रहेंगे और धर्म खत्म हो गया तो हिन्दू खुद ही खत्म हो जायेंगे. जैसा कि तब मुस्लिम शासक कर रहे थे. वह लोग सीधे धर्म पर चोट कर्र रहे थे. उन्हों ने सिर्फ और सिर्फ धर्म की रक्षा की और धर्म ने ही हिन्दुओं की रक्षा की थी. अतः आज हमें धर्म की रक्षा की कसम खानी चाहिए.

4.  बलिदान से कभी नहीं डरे शिवाजी

शिवाजी महाराज जानते थे कि इतिहास जीतने वालों को हमेशा यद् रखता है और जीत बलिदान भी मांगती है. शिवाजी ने कभी यह नहीं देखा कि दुश्मन कौन हैं और कितने हैं. शिवाजी महाराज अगर निर्णय करते थे कि अब मातृभूमि की रक्षा इस दुश्मन से करनी है तो उस निर्णय से फिर हटते नहीं थे. यही इनका निर्णय इनको सभी योद्धाओं में इतना प्रमुख बना देता था.

5.  कभी दुश्मन पर विश्वास नहीं करने का निर्णय

शुरुआत में कई बार शिवाजी महाराज ने दुश्मनों पर विश्वास किया था लेकिन एक समय बाद शिवाजी महाराज ने तय कर लिया था कि अब दुश्मन पर विश्वास नहीं करना है. औरंगजेब ने शिवाजी को धोखे दिए थे लेकिन बाद में जब शिवाजी महाराज का असली रूप इसने देखा था तो वह झुकने पर मजबूर हो गया था. इसलिए हमें भी आज दुश्मन पर अधिक विश्वास नहीं करना चाहिए.

शिवाजी महाराज के जीवन से हमें इस तरह के कई सफलता मंत्र प्राप्त हो सकते हैं लेकिन असल बात यह है कि हम शिवाजी महाराज के जीवन यात्रा को पढ़ ही नहीं रहे हैं.

शिवाजी जी से हमें गीता ज्ञान जैसी कई महत्वपूर्ण बातें मिल सकती हैं और इन बातों को अगर हिन्दू घोल के पी जाएँ तो फिर कोई भी इस धर्म पर चोट नहीं कर सकता है.

Chandra Kant S

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Chandra Kant S

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