क्या किसी राक्षस को मारने पर किसी को दुःख हो सकता है?
आप कहेंगे कैसी मजाक करते हो. राक्षस को मारने के बाद किसे दुःख होगा. लेकिन ये बात सच है और ये कहानी है स्वयं भगवन शिव की.
जिन्हें एक राक्षस को मारने पर इतना पछतावा हुआ था कि उन्होंने अपने त्रिशूल को भी तोड़ दिया था.
आइये आज आपको ले चलते है हमारे देश के सिरमौर जम्मुं कश्मीर में स्थित भगवन शिव के अनोखे मंदिर में जहाँ तीन टुकड़ों में टूटा है शिव का त्रिशूल.
वैसे तो हमारे धर्म में खंडित मूर्ति और खंडित चीज़ों की पूजा को निषिद्ध मन जाता है और इनको घर या मंदिर में रखना भी अपशकुन माना जाता है.
लेकिन इस अनोखे मंदिर में ना सिर्फ खंडित त्रिशूल है अपितु इस त्रिशूल के दर्शन और पूजा करने को दूर दूर से श्रद्धालु आते है.
जम्मू से 120 किलोमीटर दूर पत्नितोप के पास स्थित है सुध महादेव. ये शिव मंदिर सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है. इसी मंदिर के पास मानतलाई नाम के स्थान को पार्वती की जन्मस्थली माना जाता है.
स्थानीय लोगों और कुछ इतिहासकारों का मानना है कि ये मंदिर करीब 2800 साल से भी ज्यादा पुराना है.
सुध महादेव के निर्माण के पीछे प्रचलित कथा के अनुसार माता पार्वती हर दिन भगवान शिव की उपासना करने के लिए मानतलाई से इस स्थान पर आती थी. इसी स्थान पर सुधान्त नामक राक्षस भी आता था. सुधांत भी भगवान शिव का परम भक्त था.
एक दिन सुधांत ने माता पार्वती से बात करने की सोची. माता ध्यान में मग्न थी जब उन्होंने आँखे खोलकर देखा तो उन्हें सुधांत दिखाई दिया.
अपने सामने एक राक्षस को देखकर पार्वती डर से चिल्लाई. पार्वती की आवाज़ सुनकर शिव ने आँखे खोली और बिना देखे ही सुधांत पर अपना त्रिशूल चला दिया. त्रिशूल सीधा सुधान्त की छाती को बींध गया.
जब शिव ने सुधांत को देखा तो उन्हें अत्यंत दुःख और पछतावा हुआ क्योंकि शिव जानते थे कि सुधांत उनका परम भक्त है और वो पार्वती को हानि नहीं पहुँचाना चाहता था.
शिव ने सुधांत को फिर से जीवित करने का निश्चय किया लेकिन सुधान्त ने ये कहकर मना कर दिया कि उसे शिव के हाथों ही मुक्ति चाहिए. सुधांत की इच्छा पूर्ण करते हुए शिव ने उसे राक्षस योनी से मुक्ति दे दी.
सुधांत को मुक्ति देने के बाद भी भगवान शिव का पछतावा कम नहीं हुआ तो उन्होंने अपने त्रिशूल के टुकड़े कर गाढ़ दिए और उस स्थान में रहने का निश्चय किया.
आज भी भगवान शिव तीन टुकड़ों के रूप में इस मंदिर में है. इस त्रिशूल पर किसी अत्यंत प्राचीन भाषा में कुछ लिखा है जो बहुत प्रयासों के बाद भी विद्वानों को समझ नहीं आया है.
कहा जाता है इस मंदिर में एक स्थान है जहाँ आज भी शिव भक्त राक्षस सुधान्त की अस्थियाँ सुरक्षित है. सुधान्त के नाम पर ही इस मंदिर को सुध महादेव के नाम से जाना जाता है.