क्या कोई किसी सन्यासी में सेक्स जगाने की गलती कर सकता है?
और ज़रा सोचिये अगर वो सन्यासी शंकर भगवान हो तो ?
शंकर भगवान को सेक्स के लिए उत्तेजित करने और सांसारिक बनाने की सजा भी भयंकर ही होगी ना?
सती की मृत्यु के बाद शिवशंकर सांसारिक मोहमाया से विरक्त हो गए थे और कैलाश में ध्यान लीन हो गए.
शिव की समाधी को देखकर एक असुर तारकासुर ने ब्रम्हा की तपस्या की और वरदान माँगा. वरदान ये था कि तारकासुर ब्रम्हांड में सबसे शक्तिशाली बन जाए और उसका वध केवल शिव पुत्र के हाथों हो.
तारकासुर ने सोचा जब भोलेनाथ संसार से विरक्त हो गए है तो ना उनके पुत्र होगा, ना कोई उसे मार सकेगा. तारकासुर खुद को अमर समझने लगा था और उसने तीनों लोकों में अत्याचार करना शुरू कर दिया.
ये देखकर सभी देव चिंतित हो गए. तारकासुर का अंत आवश्यक था पर असम्भव भी था. शंकर भगवान अपनी तपस्या से बाहर नहीं निकलना चाहते थे और संसार में आये बिना उनके पुत्र होना असम्भव था.
सती का पार्वती के रूप में पुनर्जन्म हो चुका था. वो शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए तप कर रही थी.
ऐसे में विष्णु ने शंकर का तप भंग करने और उनमें सांसारिक मोहमाया और सेक्स की भावना जगाने के लिए प्रेम के देवता कामदेव को भेजा.
तपस्या में लीन कामदेव ने शिव पर पांच प्रेम बाण चलाये. जिनसे शिव का तप टूट गया और उनमे सांसारिक भावनाएं और उत्तेजना आ गयी. शिव का शुक्राणु निकलकर गंगा में मिल गए.
तप भंग होने पर शिव क्रोधित हो गए और अपने तीसरे नेत्र के तेज़ से कामदेव को भस्म कर दिया.
शिव के शुक्राणु से 6 बालकों का जन्म हुआ जिनका लालन पालन क्रिथिगा नक्षत्रों ने किया.
कालांतर में पार्वती की तपस्या पूर्ण हुई और शिव के साथ पार्वती का विवाह हुआ.
शिव के शुक्राणु से जन्में उन 6 बालकों को एक बालक का रूप दिया गया. ये बालक था शिव का पुत्र कार्तिकेय. शिव पुत्र कार्तिकेय ने असुर तारकासुर से युद्ध किया और उसका वध करके ब्रम्हांड को उसके अत्याचारों से मुक्त किया.
कामदेव की पत्नी रति ने जब शिव को बताया की कामदेव ने शिव का तप भंग करके उनमे कामुकता तीनों लोकों को तारकासुर से मुक्ति दिलाने के लिए जगाई थी.
ये सुनकर शिव ने कामदेव को फिर से जीवित कर दिया.
ये थी कहानी कैसे कामदेव ने ब्रम्हांड की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी और शिव को सांसारिक जीवन में लाये.