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शिव खेडा की किताब की यह कहानी हल कर देगी आपकी सारी मुश्किल

शिव खेड़ा भारतीय लेखक ही नहीं बल्कि मोटिवेशनल स्पीकर, उद्यमी भी है।

शिव खेड़ा अपने ओजस्वी भाषणों से लोगों को उनकी क्षमता का अहसास कराते हैं, उन्हें कार्य करने और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी किताब “जीत आपकी” ने अब तक कितने ही निराश लोगों के अन्दर आशा की किरण जगाई है। शिव खेडा का ट्रेड मार्क है-

“जीतने वाले कोई कोई अलग काम नहीं करते, वे हर काम को अलग ढंग से करते हैं।“

शिव खेड़ा ने अपनी इस किताब में कहानी के ज़रिये समस्याओं और उनसे निपटने के तरीके भी बताये है। उनमें से एक सार्थक कहानी हम आप सबके साथ शेयर कर रहे है…

हफ़ीज़ अफ्रीका का एक किसान था।वह अपनी जिंदगी से खुश और संतुष्ट था। हफीज खुश इसलिए था कि वह संतुष्ट था। वह संतुष्ट इसलिए था क्योंकि वह खुश था। एक दिन एक अक्लमंद आदमी उसके पास आया।

शिव खेड़ा

उसने हफीज को हीरों के महत्त्व और उनसे जुडी ताकत के बारे में बताया।उसने हफीज से कहा, “अगर तुम्हारे पास अंगूठे जितना भी बड़ा हीरा हो तो तुम पूरा शहर खरीद सकते हो, और अगर तुम्हारे पास मुट्ठी जितना बड़ा हीरा हो तो तुम अपने लिए शायद पूरा देश ही खरीद लो”

वह अक्लमंद आदमी इतना कहकर चला गया। उस रात हफीज सो नहीं सका। वह असंतुष्ट हो चूका था। इसीलिए उसकी खुशी भी खो चुकी थी। दुसरे दिन सुबह होते ही हफीज ने अपने खेतों को बेचने और और अपने परिवार की देखभाल का इंतजाम कियाऔर हीरे खोजने के लिए रवाना हो गया।

वह हीरों की खोज में पूरे अफ्रीका में भटकता रहा, पर उन्हें पा नहीं सका। उसने उन्हें यूरोप में ढूँढा, पर वे उसे वहाँ भी नही मिले। स्पेन पहुँचते– पहुँचते वह मानसिक, शारीरिक और आर्थिक स्तर पर पूरी तरह टूट चूका था। वह इतना मायूस हो चूका था कि उसने बार्सिलोना नदी में कूद कर खुदखुशी कर ली।

इधर जिस आदमी ने हफीज के खेत खरीदे थे। वह एक दिन उन खेतों से होकर बहने वाले नाले में अपने ऊंटों को पानी पिला रहा था। तभी सुबह के वक्त उग रहे सूरज की किरणें नाले के दूसरी ओर पड़े एक पत्थर पर पडी, और वह इंद्रधनुष की तरह जगमगा उठा। यह सोंचकर की वह पत्थर उसकी बैठक में अच्छा दिखेगा, उसने उसे उठाकर अपनी बैठक में सजा दिया।

उसी दिन दोपहर में हफीज को हीरों के बारे में बताने वाला आदमी खेतों के इस नए मालिक के पास आया। उसने उस जगमगाते पत्थर को देखकर पूंछा कि “क्या हफीज लौट आया?” नए मालिक ने जवाब दिया, “नहीं, लेकिन आपने यह सवाल क्यों पूंछा?” अक्लमंद आदमी ने जवाब दिया, “क्योंकि यह हीरा है।मैं उन्हें देखते ही पहचान जाता हूँ”

नये मालिक ने कहा, “नहीं, यह तो महज एक पत्थर है। मैंने इसे नाले के पास से उठाया है। आइए, मैं आपको दिखाता हूँ। वहां पर ऐसे बहुत सारे पत्थर पड़े हुए हैं।” उन्होंने वहां से नमूने के तौर पर बहुत सारे पत्थर उठाये, और उन्हें जाँचने-परखने के लिए भेज दिया। वे पत्थर हीरे ही निकले।उन्होंने पाया कि उस खेत में दूर-दूर तक हीरे दबे हुए थे।

अब इस कहानी से हमें क्या सीख मिली इसलिए आइये कहानी के सार पर बात करते हैं-

  1. जब हमारा नज़रिया सही होता है, तो हमे महसूस होता है कि हम हीरों से भरी हुई ज़मीन पर चल रहे हैं। मौके हमेशा हमारे पाँव तले दबे होते है, केबल उन्हें पहचानने की देरी है।
  2. दुसरे के खेत की घांस हमेशा हरी लगती है।
  3. जब मौका आता है तब लोग उसकी अहमियत नहीं पहचानते। जब मौका जाने लगता है तो उसके पीछे भागते हैं।
  4. कभी-कभी कुछ ज्यादा पाने का लालच ही हमारे लिए घातक सिद्ध होता है।

इस तरह की कहानियाँ रोमांचक ही नहीं होती बल्कि रोमांच से भरा हुआ एक रास्ता भी प्रसस्त करती है, ताकि एक नई एनर्जी के साथ हम अपनी मंजिल पर पहुँच सकें। और ऐसे में शिव खेड़ा की कहानियाँ देखने का एक नया नज़रिया इख्तियार करती है।

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