क्या आपने कभी शहीद शेर अली आफरीदी का नाम सुना है?
सत्य यह है कि इस वीर योद्धा को हम जानते तक नहीं हैं. धर्म के नाम पर बाँटने वालों ने शहीदों का भी बंटवारा कर लिया है और कोई हिन्दू शहीद हो गया तो कोई मुस्लिम शहीद बन गया है.
लेकिन शेर अली आफरीदी को अगर देश भूला है तो उसका एक कारण खुद एक खास धर्म है. उन्होंने इस बहादुर योधा को कभी अपनी शान समझा ही नहीं. चलिए कोई बात नहीं, आज इस बहादुर योद्धा के इतिहास से हम आपको वाकिफ कराते हैं और उम्मीद करते हैं कि आप अब इसके बलिदान को भूलने की गलती नहीं करेंगे –
कहाँ रहता था यह योद्धा
अफगानिस्तान के बेहद करीब एक गाँव पड़ता है जिसका नाम जमरूद है. यह गाँव कभी भारत में ही आता था क्योकि उस समय पाकिस्तान, अलग नहीं हुआ था. देश में हर जगह बात चल रही थी कि कैसे भी कैसे बस देश को आजाद कराया जाये. किसी ने शेर अली आफरीदी को बताया कि अगर कोई वायसराय को मार दे तो अंग्रेज डरकर देश छोड़ भाग जायेंगे.
ज्ञात हो कि उस समय वायसराय की उपाधि राष्ट्रपति के बराबर होती थी. तो शेर अली आफरीदी ने यह जिम्मा अपने कन्धों पर ले लिया.
इसके आगे का इतिहास तो साफ़ नहीं लेकिन वह कहता है
शेर अली आफरीदी का इससे आगे का इतिहास काफी अलग-अलग लिखा हुआ है.
इनका मध्य भाग काफी अलग-अलग है. लेकिन कहा जाता है कि यह भारतीय इतिहास के पहले व्यक्ति थे जिन्होनें सबसे पहले वायसराय पर इस तरह का कोई हमला किया था. तब भारतीय लोग ऐसा करने के बारे में सोचते नहीं थे.
2 अप्रैल 1767 को कमिश्नर ऑफ़ पेशावर ने इनको काले पानी की सजा सुने थी. जब शेर अली को काला पानी हुआ तो कोई समझ नहीं पा रहा था कि यह इनके प्लान का ही हिस्सा है. पेशावर में भी इन्होनें किसी अंग्रेज अधिकारी की हत्या की थी जिसके चलते इनको अंडमान भेजा जा रहा था. शेर अली जानते थे कि वायसराय लार्ड मायो, अंडमान आता रहता है.
तब अंडमान जेल में शेर अली बन गये थे नाई
शेर अली आफरीदी अच्छी तरह से जानते थे कि अगर वह नाई बन जाते हैं तो सभी अंग्रेज लोगों से इनके रिश्ते अच्छे हो जायेंगे और तब वह इसका फायदा देश की आजादी के लिए उठा सकते हैं. सबसे अच्छी बात थी कि ऐसा ही कुछ हुआ भी.
देश की आजादी के लिए शहीद हुआ वीर
सन 1872 को वह दिन आया जब वायसराय मायो, इन्डिया आया. जैसे कि अंग्रेज तब भी देश की गरीबी देखने ही आते थे तो वायसराय भी काले पानी की सजा काट रहे लोगों का मजाक बनाने ही आया था. सुबह से शाम तक सब कुछ सही चलता रहा. शाम को जब वायसराय जाने को हुआ तो शहीद शेर अली अफरीदी, नाव में छुपकर बैठ गया था. अब जैसे ही लार्ड मायो, नाव में आया तो शेर अली ने चाकू से उस पर वार कर दिया था.
कहते हैं कि वायसराय की मौत हो गयी थी और इस घटना से पूरा इंग्लैंड ही हिल गया था. बाद में वीर शेर अली आफरीदी को इस कार्य के लिए फांसी पर लटका दिया गया था.
किन्तु शहीद शेर अली अफरीदी का यह बलिदान भारत और पाकिस्तान इस तरह से इतिहास से हटा देंगे, यह उम्मीद इन्होनें नहीं की थी.
अब उम्मीद करते हैं कि जिस तरह से भ्रमित करने वाला इतिहास अभी शेर अली अफरीदी का लिखा हुआ है उसे सही करने में आप सभी हमारी मदद करेंगे.
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