हिंदू तालिबान – लोकतंत्र में हर किसी को अपनी बात कहने का हक है, मगर इस हक का ये मतलब नहीं है कि आप कुछ भी बेकार की बात कहें और बार-बार किसी के बारे में अपशब्दों का प्रयोग करें, मगर राजनीति में अक्सर ऐसा ही होता है.
खासतौर पर नेतागण बोलने के अपने अधिकार के नाम पर कुछ भी बोल जाते हैं, इन दिनों सीनियर कांग्रेस लीडर शशि थरूर भ कुछ ऐसा ही कर रहे हैं.
उनका हिंदू पाकिस्तान वाला बयान अभी ताज़ा ही था कि अब उन्होंने बीजेपी को हिंदू तालिबान कहकर मामला और गरमा दिया है.
शशि थरूर के पिछले बयान के विरोध में कुछ बीजेपी नेताओं ने उन्हें पाकिस्तान चले जाने की नसीहत दी थी, इस पर थरूर ने कहा कि, ‘बीजेपी के लोग चाहते हैं मैं पाकिस्तान चला जाऊं. उन्हें ये अधिकार किसने दिया. क्या मैं उनकी तरह हिंदू नहीं हूं, क्या मुझे देश में रहने का अधिकार नहीं है.
क्या ये लोग हिंदू धर्म के अंदर तालिबान को स्थापित करने की शुरुआत नहीं कर रहे हैं?’
आपको बता दें कि सोमवार को थरूर के निर्वाचन क्षेत्र तिरुवनंतपुरम में उनके ऑफिस में कुछ लोगों ने तोड़फोड़ की और दीवारों पर ब्लैक ऑइल फेंका था. थरूर का आरोप है कि इस हमले में बीजेपी के युवा मार्चा के सदस्यों का हाथ हैं. इसके अलावा वहीं एक कार्यक्रम के दौरान बीजेपी कार्यकर्तांओं ने थरूर को काले झंडे भी दिखाए, जिसके बाद थरूर ने कहा कि बीजेपी हिंदू धर्म के अंदर तालिबान को स्थापित करने की शुरुआत कर रहा है.
थरूर के इस बयान के बाद केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने उन्हें पाकिस्तान जाने की नसीहत दे डाली और कहा कि वह खुद तालिबानी है. चौबे ने कहा कि थरूर को बताना चाहिए कि क्या वह तालिबानी हैं. अगर इस देश में रहना है तो हिंदुत्व को गाली नहीं दी जा सकती, देश को गाली नहीं दी जा सकती. चौबे ने कहा कि देश में रहकर कोई हिंदुत्व को गाली देता है, तो उसे पाकिस्तान चले जाना चाहिए. ऐसे लोगों के लिए इस देश में कोई जगह नहीं है. चौबे का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि हिंदुत्व वे ऑफ लाइफ है. इसीलिए शशि थरूर का बयान ठीक नहीं है.
उधर शशि थरूर ने कहा कि एक धर्म में देश को रंगने की कोशिश की जाएगी तो देश टूट जाएगा, लेकिन जब सभी धर्म को लेकर चलेंगे तो ऐसा नहीं होगा. इतना ही नहीं थरूर ने अपने ‘हिंदू तालिबान’ वाले बयान को वापस लेने से इनकार कर दिया है.
बहरहाल, यहां ये कहना बहुत मुश्किल है कि कौन सही और कौन गलत है, क्योंकि राजनीति में इस तरह के शब्दों के तीर तो अक्सर चलते ही रहते हैं, हां, मगर आप जिस देश में रहते हैं कम से कम उसके बारे में गलत बात तो नहीं करनी चाहिए. साथ ही नेताओं से हमेशा सभ्य भाषा की उम्मीद की जाती है क्योंकि वो जनता प्रतिनिधित्व करते हैं.
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