शकुनि को भला भारत के अन्दर कौन नहीं जानता होगा.
बच्चा-बच्चा जानता है कि यह वही व्यक्ति है जो सबकी लड़ाईयां करवाता था.
वैसे महाभारत में शकुनि और दुर्योधन की मामा-भांजे की जोड़ी के कारण ही आज तक यह जोड़ी मशहूर है. मामा जो अपने भांजे को सही राह दिखा सकता था. अगर यह चाहता तो शायद दुर्योधन मौत के मुंह में नहीं जाता.
जी हाँ, कहते हैं कि दुर्योधन जितनी अपने मामा शकुनि की सुनता और मानता था उतनी अन्य किसी व्यक्ति की नही सुनता था. किन्तु मामा ही काल बनकर भांजे की जान ले जाता है.
समझाने की जगह वह दुर्योधन को लड़ने के लिए बहकाता है.
क्यों बना शकुनि विनाश की वजह
शकुनि का जन्म गंधार के राजा सुलभ का पुत्र था. शकुनि की बहन गांधारी का विवाह धृतराष्ट्र से हुआ था यह तो आप सभी जानते ही होंगे.
लेकिन शकुनि की कुरुवंश के प्रति घृणा का कारण यह था, कि जब भीष्म एक बार धृतराष्ट्र के लिए गांधारी का हाथ माँगने गंधार गए. तब गांधारी के पिता सुबल ने ये बात स्वीकार कर ली, लेकिन उस समय उन्हें ये पता नहीं था की धृतराष्ट्र जन्मांध है. इसका शकुनि ने भी विरोध किया, लेकिन गांधारी अब तक धृतराष्ट्र को अपना पति मान चुकी थी.
इसलिए शकुनि ने उस दिन ये प्रण लिया की वह समूचे कुरुवंश के सर्वनाश का कारण बनेगा.
अंत में खुद भी युद्ध में मारा गया
जब महाभारत युद्ध हो रहा था तब शकुनि पर एक मौका जरुर था कि वह युद्ध में हिस्सा ना ले किन्तु उस समय भी शकुनि को अपना प्रण याद था. यहाँ पर शकुनि ने तब अपने बेटों के साथ युद्ध में लड़ना स्वीकार किया था.
शकुनि को यह मंजूर नहीं था कि इतिहास उसको भगौड़ा घोषित करे इसलिए वह युद्ध में लड़ा.
युद्ध में सहदेव ने शकुनि को घायल कर दिया था. शकुनि से पहले सहदेव ने उल्लूक को मारा जो शकुनि का पुत्र था. अपने पुत्र का शव देखकर शकुनि को बहुत दु:ख हुआ और वह युद्ध छोड़कर भागने लगा. यहाँ पर शकुनि कायरता का परिचय दिया. सहदेव ने शकुनि का पीछा किया और उसे पकड़ लिया.
लेकिन जब शकुनि को मृत्यु नजर आने लगी तो वह काफी देर तक सहदेव से लड़ता रहाऔर अंत में सहदेव के हाथों शकुनि का अंत हो गया.
इस प्रकार शकुनि खुद तो युद्ध में मारा ही गया लेकिन अपने प्रण के अनुसार वह कौरव वंश के खात्मे की भी वजह बना था.