दंगों की वजह–
यदि इन दंगों की वजह खोजे तो इसका कारण आर्थिक ही जान पड़ता हैं. असहयोग आन्दोलन के वक़्त नेताओं और पत्रकारों ने कई कुर्बानिया दी और उनकी आर्थिक स्थिति बिगड़ गयी. जिससे लोगों को उन पर अविश्वास सा हो गया. भारत में लोगों की आर्थिक दशा इतनी ख़राब हैं, कि एक व्यक्ति दुसरे व्यक्ति का अपमान सिर्फ एक चवन्नी के लिए भी कर सकता हैं. भूख और दुःख से आतुर इंसान अपने सभी सिद्धांत तांक पर रख देता हैं. सच भी हैं “मरता क्या न करता”. इन समस्याओं के सुधार के रूप में एक ही उपाय हो सकता हैं वह ये हैं कि भारत की आर्थिक दशा में सुधार हो और वह तभी संभव हैं जब यहाँ के गरीब, मेहनतकश किसान और मजदुर वर्ग यह समझे कि उनका असली दुश्मन कोई हैं तो वह हैं पूंजीपति और पूंजीवाद हैं न कि धर्म, नस्ल, रंग और जाति. इन सब से ऊपर उठ कर हम सब को यह मानना होगा कि हम इंसान पहले हैं.
-भगत सिंह
शहीद-ए-आज़म द्वारा 1928 में लिखा गया यह ख़त बिलकुल आज के भारत की कहानी बताता हैं.
भगत सिंह ने इस भारत की कल्पना तो उस वक़्त भी नही की थी, तो आज के इस भारत को वह कैसे स्वीकार कर पाएंगे.
ख़त के यह अंश एक किताब “इन्कलाब जिंदाबाद” के हैं.
यदि इस ख़त को आप पूरा पढना चाहे तो उस किताब और हिल्लेले नाम के एक ब्लॉग में भी जा कर पढ़ सकते हैं.