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सेक्स गुरु ओशो के जीवन से जुड़े कुछ अनोखे तथ्यों के बारे में जानें !

धर्मगुरु ओशो को शुरुआती दिनों में भगवान रजनीश के नाम से जाना जाता था।

अमेरीका से लौटने के बाद उन्हें ‘ओशो’ नाम से जाना जाने लगा। ‘ओशो’ का असली नाम चंद्र मोहन जैन था जिन्हें बाद में धर्मगुरु ओशो रजनीश और फिर ओशो के नाम से जाना जाने लगा। संभोग को लेकर ओशो को उनके खुले विचारों के कारण ‘सेक्स गुरु’ की उपाधि भी दी गई थी।

उनके खुले विचारों के कारण वे लाखों लोगों के पसंदीदा हो गए तो बहुत से लोग उनके विचारों के विरोधी भी हो गए थे। ओशो के अधिकतर अनुयायी विदेशी है।

आइए जानते हैं ओशो के रहस्यमयी जीवन से जुड़ी कुछ अनोखी बातें।

धर्मगुरु ओशो

  • धर्मगुरु ओशो का जन्म 11 दिसंबर 1931 को मध्यप्रदेश के कछवाड़ा गांव में हुआ था। बचपन में वे जैन धर्म के अनुयायी थे और उनका पूरा नाम चंद्र मोहन जैन था। वे अपने 11 भाई-बहनों में सबसे बड़े थे।
  • धर्मगुरु ओशो का पहला आश्रम अमेरीका के ऑरेगन स्टेट में था जिसे रजनीश पुरम कहा जाता था। इस आश्रम में ओशो के 7000 अनुयायी रहा करते थे। ओशो की बातों का प्रभाव इतना था कि थोड़े ही समय में वे हजारों लोगों के पसंदीदा बन गए और उनके अनुयायियों ने ही बंजर जमीन पर रजनीशपुरम् नामक खूबसूरत शहर को सिर्फ तीन साल में बसा दिया।
  • आपराधिक मामलों के कारण ओशो को भारत भेज दिया गया जहां इन्होंने पुणे में अपना आश्रम बनाया। ओशो के आश्रम में हर एक सदस्य के लिए एचआईवी टेस्ट जरुरी होता है। आश्रम में आने वाले हर सदस्य को एचआईवी एड्स का परीक्षण करवाना आवश्यक होता है।
  • ओशो के अधिकांश अनुयायी विदेशी थे जिनसे ओशो को बहुत सारा डोनेशन मिलता था। उनके पास 98 रोल्स रॉयल्स गाड़ियां थी जो उन्हें डोनेशन में उनके भक्तों से मिली थी ।
  • धर्मगुरु ओशो की कीताब ‘संभोग से समाधी’ तक बहुत लोकप्रिय हुई । इसका कई भाषाओं में अनुवाद किया गया। ओशो ने ‘द बुक ऑफ मिरडैड’ नामक एक और बुक लिखी थी जिसमें ओशो के विचारों का विस्तार था इस कारण इस किताब का अधिक प्रचार नहीं हो पाया और बहुत कम लोगों ने इस किताब को पढ़ा है।
  • पुणे में स्थिति ओशो का आश्रम बेहद प्रसिद्ध मेडिटेशन रिसॉर्ट है। यहां पर साल भर में 2 लाख के करीब सैलानी आते हैं। सेक्स को लेकर ओशो के विचार काफी खुले थे और आश्रम में संबंध बनाने पर कोई पाबंदी नहीं है। व्यक्ति अपनी मर्जी से किसी के भी साथ संबंध बना सकता है।
  • ओशो को अपने खुले विचारों के कारण भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में धार्मिक कट्टरपंथियों का विरोध झेलना पड़ा। लेकिन इन्हीं विचारों की वजह से वे लाखों लोगों के भगवान भी बन गए। ओशो की मृत्यु 9 जनवरी 1990 में पुणे में स्थित उनके आश्रम में हुई। ऐसा कहा जाता है कि उनकी मृत्यु के पीछे अमेरीकी सरकार का हाथ था लेकिन इसका कोई प्रमाण नहीं हैं।

धर्मगुरु ओशो के आश्रम में मेडिटेशन और नृत्य के जरिए आध्यात्म को समझने पर जोर दिया जाता है। आश्रम का माहौल ऐसा है कि जीवन जीने और खुलकर संभोग करने पर कोई पाबंदी नहीं है इसलिए लाखों लोग ओशो के अनुयायी है। विनोद खन्ना जैसे अभिनेता भी ओशो के अनुयायी रहें हैं। हाल ही में नेटफ्लिक्स ने ओशो पर वाईल्ड-वाईल्ड कंट्री नामक एक वेब सीरीज़ की शुरुआत की है। जिसके बाद ओशो का रहस्यमयी जीवन पर्दे पर उकेरने का प्रयास किया जाता है।

धर्मगुरु ओशो एक ऐसी शख्सियत थे जिन्हें आप पसंद कर सकते हैं, नापसंद कर सकते हैं लेकिन चाहकर भी उन्हें अनदेखा नहीं कर सकते।

Anshika Sarda

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