विज्ञान और टेक्नोलॉजी

6 नुक्सान जो आपको बिज़नेस और निजी ज़िन्दगी में भुगतने पड़ते हैं घटिया मोबाइल कंपनियों के चलते!

टेक्नोलॉजी ने हमारी ज़िन्दगी को आसान बनाया है तो वहीँ उसके नुक्सान भी हैं|

मोबाइल फ़ोन उसी तरक्की का एक जीता-जाता उदहारण हैं जिसके फ़ायदे और नुक्सान दोनों ही हैं| पर अगर नुक्सान कम हैं तो रही-सही कसर यह घटिया मोबाइल कंपनियों के चलते हो रही है!

आईये आपको बताएँ कि किस तरह इन मोबाइल कंपनियों की वजह से आपकी टेंशन बढ़ रही है:

1) कॉल ड्राप

आजकल फ़ोन पर यह सबसे बड़ी समस्या है| बात करते-करते कॉल ड्राप हो जाती है! अचानक फ़ोन का नेटवर्क गायब हो जाता है| कोई ज़रूरी बात चल रही होती है और बीच में कॉल कट जाने की वजह से दोबारा फ़ोन मिलाइये, नेटवर्क का इंतज़ार कीजिये, वगैरह-वगेरह! ये तमाम दिक्कतें सिर्फ इसलिए हैं क्योंकि कंपनियों ने ज़रुरत के अनुसार सेल टावर ही नहीं लगाए| अब लोड बढ़ेगा तो कॉल ड्राप होंगी ही!

2) क़ीमत

जब कॉल ड्राप होगा तो दोबारा कॉल मिलाना पड़ेगा, मतलब ज़्यादा पैसे खर्च होंगे! आपका नुक्सान और कंपनियों का फायदा! उनकी ग़लतियों का खामियाज़ा हमें भुगतना पड़ता है और इस बात की उन्हें रत्ती भर भी परवाह नहीं है|

3) समय की बर्बादी

दो मिनट की बात के लिए बार-बार फ़ोन मिलाना पड़े, एक ही बात को समझाने के लिए घंटों बर्बाद हों तो इसका खामियाज़ा कौन भरेगा? आप ज़रूरी काम में फँसे हों और बार-बार कॉल ड्राप हो या नेटवर्क ही ना मिले तो मोबाइल फ़ोन पास में होने का फ़ायदा ही क्या?

4) ख़राब कस्टमर सर्विस

वैसे तो इन कंपनियों के कस्टमर केयर सेंटर दिन-रात काम करते हैं लेकिन कभी वहाँ कॉल कीजिये अपनी शिकायत के लिए तो पहले तो घंटों इंतज़ार करना पड़ेगा किसी से बात करने के लिए| उसके बाद या तो उस व्यक्ति को आपकी बात समझ नहीं आएगी या हल निकलने में कई दिनों का समय निकल जाएगा! और शिकायत दूर हुई भी तो दो-चार दिन के बाद वापस वही शिकायत सामने खड़ी हो जायेगी! मोबाइल ना हुआ मुआ गले का जंजाल हो गया!

5) मुआवज़ा

सरकार ने अभी आदेश जारी किये हैं कि कॉल ड्राप की समस्या को सुलझाने के लिए मोबाइल कंपनियों को ग्राहकों को मुआवज़ा देना पड़ेगा| अच्छा कदम है लेकिन कोई ये बताये कि इस बात की निगरानी कौन रखेगा कि कंपनियां मुआवज़ा देंगी और सही देंगी? ग्राहक की शिकायत ना कंपनी के कानों में पड़ रही है ना सरकार के! सब मिली-भगत है हमारी जेबों से पैसे निकलवाने की!

6) बिल की हेरा फेरी

इतना काफी नहीं था तो आये दिन हमारे फ़ोन के बिल में आनन-फानन के चार्जेस लगे होते हैं! कभी इंटरनेट ज़्यादा इस्तेमाल हुआ तो कभी कॉल ज़्यादा हुई! जब आप फ़ोन कर उन से लड़ो, अपनी बात समझाओ तो कई दिनों के बाद उनको समझ आता है कि जी हाँ, गलती हो गयी, कंप्यूटर महाशय का पेट ख़राब चल रहा था, कुछ भी बिल बना दिया!

क़ाश कोई तरीका निकले इन कंपनियों को सीधे रास्ते पर लाने का! मोबाइल फ़ोन जैसी सुविधाजनक वस्तु को ख़तरनाक मुसीबत का रूप दे दिया है उन्होंने! कोई तो न्याय दिलाओ!

 

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