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1841 से इस सीरियल किलर के सर को रखा गया है सुरक्षित -इसके पीछे बेहद अजीब कारण है

सीरियल किलर का सर

पुर्तगाल यूनिवर्सिटी में 177 साल से एक सर को सुरक्षित रखा गया है.

यह सर एक सीरियल किलर का सर है. इस सीरियल किलर का नाम है डाइओगो एलव्स.

डाइओगो 1810 में गैलेसिया में पैदा हुआ था. काम के सिलसिले में वह लिस्बन चला गया. जलद ही देहाड़ी मजदूरी करने से उसका जी ऊब गया. उसे लगा कि अपराध की जिंदगी में देहाड़ी मजदूरी की जिंदगी से कहीं अधिक पैसा है.

इसके साथ ही उसने एक के बाद एक हत्याएं करनी शुरू कर दी. वह गरीब किसानों को, जो दिन भर की मजदूरी कर लौट रहें होते, उन्हें रास्ते में लूटने लगा. लूटने के बाद वह उन्हे पुल से नीचे पानी में फेंक देता. इस तरह उसने कुल 70 हत्याएं कर डाली. पुलिस ने इन हत्याओं की कभी जांच करने की जरूरत नहीं समझी क्योंकि वह इन हत्याओं को आत्महत्या समझती रही.

तीन साल बाद डाइओगो ने अचानक इस तरह की हत्याएं करना बंद कर दिया.

हालांकि उसने अपराध की दुनिया को अलविदा नहीं कहा था. दरअसल उसने अब अपना एक गैंग बना लिया था. वह अब लोगों के घरों में डाका डालने लगा. एक बार उसका गैंग एक डॉक्टर के घर में घुसा औऱ घर के सभी सदस्यों को मौत के घाट उतार दिया. इस वारदात को अंजाम देते हुए डाइओगो पकड़ा गया और उसे सन 1841 में फांसी हो गई.

हालांकि वह डाइओगो एलव्स  से पहले भी सीरियल किलर हुए थे लेकिन इससे पहले किसी सीरियल किलर का सर काटकर सुरक्षित नहीं रखा गया था. फिर क्यों डाइओगो का सर विश्वविद्यालय में सुरक्षित रखा गया? इसके पीछे सिर्फ समय जिम्मेदार है.

जिस समय डाइओगो को फांसी हुई उस समय फेरेनोलॉजी नाम की विज्ञान की शाखा बेहद लोकप्रिय हो रही थी. फेरेनोलॉजी वह विज्ञान है जिसके तहत व्यक्ति के मस्तिष्क का अध्ययन किया जाता है. यह विज्ञान मानता है कि किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व के सारे पहलू उसके दिमाग में सुरक्षित रहते हैं. व्यक्ति की खोपड़ी का आकार भी उसके व्यक्तित्व के बारे में बहुत कुछ बताता है.

वैज्ञानिक डाइओगो के मस्तिष्क का अध्ययन कर उसकी अपराधिक वृत्ति को समझना चाहते थे. हालांकि ऐसा कोई साक्ष्य मौजूद नहीं है जो ये बताए कि वैज्ञानिको ने इस सीरियल किलर के दिमाग पर कोई अध्ययन किया हो.

फिर क्यों आज भी सीरियल किलर का सर सुरक्षित रखा गया है? शायद सिर्फ विश्वविद्यालय की प्रयोगशाला का शोभा बढ़ाने के लिए!