सेल्यूकस को जब पता चला था कि भारत पर कब्जा कर काफी सारा धन लूटा जा सकता है तो उसने भारत पर आक्रमण करने के लिए अपनी कमर कस ली थी.
लेकिन आपको जानकार आश्चर्य होगा कि वह अंत तक यही सोच रहा था कि कहीं उसका भी अंजाम सिकंदर जैसा ना हो.
जी, हाँ जैसा कि हम अपने पहले लेख में सिकंदर का अंजाम बता चुके हैं तो ज्ञात हो कि सेल्यूकस कभी सिकंदर का ही मुख्य सेनापति था. इसलिए गुरू के हालचाल से वह पूरी तरह से वाकिफ था. सिकंदर आया था और राजा पुरू से हारकर वापस लौटा था.
सेल्यूकस सिकंदर के आने के लगभग 20 साल बाद भारत आया था.
अब काफी समय बीत चुका था और चन्द्रगुप्त का मौर्य राजवंश भारत पर राज कर रहा था.
जैसा कि शायद आपको पता ना हो कि मौर्य राजवंश ने भारत पर कुछ 200 सालों से ज्यादा तक राज किया था. इसका सारा श्रेय राजा चन्द्रगुप्त और उनके मंत्री कौटिल्य को दिया जाता है. किन्तु आप चाणक्य को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं.
जब सिंध से आया सेल्यूकस
सेल्यूकस को लगता था कि अब भारत को जीतना आसान हो गया है. इसलिए वह अपनी विशाल सेना को लेकर सिंध के रास्ते भारत में आया था. सेल्यूकस ने अभी तक बेबीलोन और बैक्टीरिया पर जीत दर्ज कर अपनी ताकत का इजहार कर दिया था. वैसे सिकंदर के समय भारत विभाजित था और छोटे-छोटे टुकड़ों में था लेकिन चन्द्रगुप्त की समय पूरा भारत एक था और भारत के बड़े हिस्से पर इनका हक़ था.
जब हुआ एक भयंकर युद्ध
सेल्यूकस और चन्द्रगुप्त की सेना के बीच एक भयंकर युद्ध हुआ था. लेकिन इतिहास कहता है कि चन्द्रगुप्त की सेना ने सेल्यूकस की सेना को गाजर-मूली की तरह काट दिया था. जो सेल्यूकस भारत को धूल में मिलाना चाहता था उसको कैद कर लिया गया था.
लेकिन चन्द्रगुप्त मौर्य ने इस सेल्यूकस के साथ मेहमानों जैसा व्यवहार किया और दोनों के बीच शांति स्थापना के लिए संधि हुई. सबसे बड़ी बात देखिये कि सेल्यूकस आया था भारत पर कब्जा करने लेकिन चन्द्रगुप्त को वह जाते-जाते अपने कई राज्य दे गया था. यकीन ना हो तो काबुल, कंधार, गांधार और बलूचिस्तान का इतिहास उठाकर आप देख सकते हैं.
(इस लेख में बताई गयी बातों की सत्यता जाँच, आप पुस्तक भारत का निर्माता चन्द्रगुप्त मौर्य ‘दिलीप कुमार लाल’ से और विनय ठाकुर के चाणक्य पर लिखे लेखों से कर सकते हैं.)
अपनी बेटी का विवाह किया था चन्द्रगुप्त से
जब सेल्यूकस हार गया था तो उसने अपनी बेटी का विवाह चन्द्रगुप्त से किया था. ऐसा शायद इसीलिए था क्योकि उसको मौर्य राजवंश की बहादुरी का सही ज्ञान हो गया था. किन्तु विवाह से पूर्व चन्द्रगुप्त की संधियाँ काफी विख्यात हुई थीं.
शादी के समय तय हुई बातें
चाणक्य ने हेलेन के सामने शर्त रखी थी कि वह कभी भी चन्द्रगुप्त के राज्य कार्य में हस्तक्षेप नहीं करेगी और इसके बेटे को राजसत्ता कभी नहीं मिलेगी क्योकि वह एक विदेशी स्त्री का पुत्र होगा. उसकी निष्ठा कभी भी एक भारतीय की तरह भारत में नहीं होगी. चाणक्य ने आगे बोला कि सेल्यूकस की पुत्री राजनीति और प्रशासनिक अधिकार से पूर्णतया अलग रहेगी.
परन्तु गृहस्थ जीवन में हेलेन का पूर्ण अधिकार होगा.
वैसे इन शर्तों के पीछे चाणक्य का दिमाग था, जो चन्द्रगुप्त के गुरू भी थे.
कुलमिलाकर देखा जाए तो जो सेल्यूकस भारत जीतने आया था वह चन्द्रगुप्त और चाणक्य की बहादुरी के सामने अपने ही राज्य हारकर गया था.
इसलिए भारतीय इतिहास में चन्द्रगुप्त मौर्य का नाम इतने आदर से लिया जाता है.
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