मस्तिष्क के रहस्य – ये 2001 में घटित अजीबो-गरीब कहानी है टॉमी मैकहग की.
टॉमी मैकहग की ज़िंदगी उस समय बदली जब वो टॉयलेट में था और उसे तेज़ सिरदर्द हुआ और वो बेहोश हो गया.
उसकी मस्तिष्क की एक रक्त वाहिनी आर्टरी फट गई थी और खून उससे रिस-रिस कर मस्तिष्क में एकत्रित हो रहा था, ये ब्रेन हैमरज था. उसे तुरंत ही अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा. इस एक घटना से उसका व्यक्तित्व पूरी तरह से परिवर्तित हो गया और तीन वर्षों बाद लंदन में साइंस पर विचार-विमर्श और तेज़ बहसों का केंद्र डाना सेंटर में वो अपने पूरे आत्मविश्वास के साथ साइंटिस्टों को संबोधित करने लगा.
टॉमी मैकहग का ये विचित्र केस प्रसिद्ध साइंस जनरल ‘नेचर’ में प्रकाशित होने के बाद न्यूरोसाइंटिस्ट के बीच आज भी चर्चा का विषय बना हुआ है.
पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार कई बार जेल यात्रा कर चुका टॉमी मैकहग 2001 से पहले तक एक हेरोइन एडिक्ट और छोटी-छोटी बात पर हिंसा पर उतारू हो जाने वाला एक आसामाजिक तत्व था. वही टॉमी अब हेरोइन जैसे ड्रग्स के नशे को छोड़ चुका है और उसके हाथों में छूरे या पिस्तौल की जगह कूचियों और पेन ने ले ली है. टॉमी मैकहग अब हर समय कविताएं लिखने, पेंटिंग्स बनाने और कलाकृतियों की रचना करने में व्यस्त रहता है. उसकी कृतियों की कई प्रदर्शनियां भी लग चुकी हैं और वो आज न्यूरोसाइंटिस्टों के शोध का प्रिय विषय बना हुआ है.
कला से नफरत करने वाले टॉमी मैकहग अब कला के प्रति समर्पित हो गए हैं. टॉमी मैकहग की कहानी अजीब ज़रूर है पर अविश्वसनीय नहीं. ब्रेन हैमरज या सर पर किसी तरह की चोट लगने के बाद व्यक्तित्व में संपूर्ण परिवर्तन की ऐसी दुर्लभ घटनाएं दुनियाभर में घट चुकीं हैं. मानव मस्तिष्क संपूर्ण ब्रम्हांड की सबसे शक्तिशाली और सबसे रहस्यमयी चीज़ है. मेडिकल साइंस की महान प्रगति के बाद भी हम अभी भी मस्तिष्क के रहस्यों से अंजान हैं.
टॉमी मैकहग का केस अजीब इसलिए भी है कि इस मामले में व्यक्तित्व परिवर्तन के साथ ही विचारों का क्रम भी पूरी तरह से बदल गया है. यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के ब्रूस मिलर और अन्य न्यूरोलॉजिस्ट आर्ट और ब्रेन डैमेज के बीच की लुप्त कड़ी को खोजने की कोशिश कर रहे हैं. मिलर ने जिन रोगियों के बीच शोध किया है वे सेमैंटिक डेमेंशिया से पीड़ित हैं. सेमैंटिक डेमेंशिया एक ऐसा रोग है जो मस्तिष्क के फ्रंटल और टेम्पोरल लोब्स को नुकसान पहुंचने के कारण उत्पन्न होता है और इसके कारण रोगी बोलने में असमर्थ हो जाता है. मिलर बताते हैं कि वे अबतक ऐसे 40 रोगियों को करीब से देख चुके हैं. प्रत्येक रोगी में कला से संबंधित कोई न कोई अभिरुचि या कौशल उत्पन्न हो जाता है. लेकिन ऐसे रोगियों के मस्तिष्क का बायां हिस्सा खराब हो जाता है.
आमतौर पर मस्तिष्क का दायां हिस्सा आर्टिस्टिक फंक्शन्स जैसे कि दृश्यों व चित्रों को पहचानना, चेहरे पहचानना और जागरूकता को अंजाम देता है. कई बार ये भी देखने में आया है कि मस्तिष्क का बायां हिस्सा अपने दाएं हिस्से से प्रभावित भी होने लगता है. इससे रोगी में कला के प्रति अभिरुचि उत्पन्न हो जाती है. लेकिन टॉमी मैकहगर का केस थोड़ा अलग है क्यों कि उसे बोलने में कोई समस्या नहीं है. टॉमी के मस्तिष्क में क्या चल रहा है ये ठीक-ठाक समझने के लिए मिलर जैसे न्यूरोसाइंटिस्ट्स को ऐसे ही अन्य रोगियों की तलाश है.
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