जयगढ़ किला – राजस्थान के शूरवीरों की धरती हमेशा से अपने शौर्य, साहस, बलिदान के लिए जानी जाती है।
यहां के हर शहर की अपनी एक खास और अलग पहचान है। राजस्थान की धरती पर अनेक अभेद किलो का निर्माण हुआ है। लेकिन यहां एक दुर्ग ऐसा भी है जिसने अपने में अब तक एक राज छुपा रखा है, जो अब तक सामने नहीं आया है।
इस दुर्ग का नाम है जयगढ़ किला ये एक रहस्यमयी किला है। जो जयपुर में है।जयपुर में मध्ययुगीन भारत के कुछ सैनिक इमारतों में से एक “जयगढ़ किला” भी है। महलों, बगीचों पानी टांकों, अन्य भंडार, शास्त्रागार, तोप बनाने का कारखाना, मंदिर जैसे कई जगह बनें होते है। इस किले में भी कुछ खास बना हुआ है। जयगढ़ किला के फैले हुए परकोट और प्रवेश द्वार इसकी कई कहानियां बयां करते है।
जयपुर की आन और शान को बरकरार रखें हुए इस किले में आपातकालीन द्वार भी एक बड़ी पहेली है।
1975 में जब देश में इंदिरा गांधी ने आपातकालीन लगाया उस समय जयगढ़ किला छिपे खजाने की भी तलाश की गई। 10 जून 1976 को शुरु हुई तलाश नवंबर, 1976 में खत्म हुई।
हार कर सरकार ने घोषणा भी कर दी की किले में कोई खजाना नहीं है। लेकिन सरकार की इस बात पर लोग संदेह जताने लगे। लोगों को ये झूठ लग रहा था। इसकी सबसे बड़ी वजह है कि जब सेना ने अपना अभियान समाप्त किया तो उसके बाद एक दिन के लिए दिल्ली-जयपुर हाईवे आम लोगों के लिए बंद कर दिया गया था।
ऐसा लोगों का कहना है कि इस दौरान जयगढ़ किले में मिले खजाने को ट्रकों में भरकर दिल्ली लाया गया और सरकार इसे जनता की नजरों से छिपाकर रखना चाहती है। हाई-वे बंद होने की पुष्टि कई विश्वसनीय सूत्रों से मिला लेकिन सरकार ने कभी हांमी नहीं भरी। अनुमान है कि 128 करोड़ रुपए की दौलत होगी।
128 करोड़ के खजाने की मांग
भारत ही नहीं इस खजाने के पीछे पाक भी अपनी नजरें गढ़ाएं बैठा है। जो लगातार अपने हिस्से की मांग करता रहता है। 11 अगस्त, 1976 को भुट्टो ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को एक खत लिखा, जिसमें पाकिस्तान ने खुद को जयगढ़ की दौलत का हकदार मानते हुए लिखा कि “विभाजन के समय ऐसी किसी दौलत की अविभाजित भारत को जानकारी नहीं थी। विभाजन के पूर्व के समझौते के अनुसार जयगढ़ की दौलत पर पाकिस्तान का हिस्सा बनता है।”
इंदिरा गांधी ने भुट्टो के पत्र का जवाब ही नहीं दिया। इसके बाद आयकर, भू-सर्वेक्षण विभाग, केन्द्रीय सार्वजनिक निर्माण विभाग और अन्य विभिन्न विभागों को जब खोज में कोई सफलता नहीं मिली तो इंदिरा गांधी ने खोज का काम सेना को सौंप दिया, लेकिन जब सेना को भी किसी तरह का खजाना नहीं मिला तो इंदिरा गांधी ने 31 दिसम्बर 1976 को भुट्टो को लिखे खत के जवाब में कहा कि,विशेषज्ञों की राय है कि पाकिस्तान का इस खजाने में कोई दावा ही नहीं बनता।
जयपुर शहर के विकास में लगाया
कुछ इतिहासकारों का मानना ये भी है कि जयगढ़ किले का खजाना था, लेकिन राजा जयसिंह ने उसी खजाने से जयपुर शहर का विकास किया। लेकिन अब सवाल ये उठता है कि यदि सरकार को जयगढ़ किला का खजाना नहीं मिला तो आखिर वो खजान गया तो.. गया कहां गया? सवाल तो कई हैं लेकिन जवाब किसी के पास नहीं है।
जयगढ़ किला और उसका खजाना – अब देखते है कि इस खजाने का रहस्य कब तक पहेली बन इन किलों की दीवारों से टकराता रहेगा। या कभी कोई इस रहस्य की गूंथी को सुलझा पाएगा।
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