Categories: विशेष

दशहरा से जुड़े यह अनजाने रहस्य जानियें.

दशहरा को विजयदशमी भी कहा जाता हैं  यानि बुराई पर अच्छाई की जीत का दिन. दशहरा के लिए यही बात कही जाती हैं कि श्रीराम ने माँ सीता को राक्षसराज रावण से मुक्त करा कर रावण का अंत किया था. इस दिन क्षत्रिय वर्ग अपने अस्त्र शस्त्र की पूजा करते हैं.

कहा जाता हैं कि रावण का जन्म सामान्य स्थिति में नहीं हुआ था. रावण के जन्म के पीछे एक रोचक कहानी हैं. दरअसल रावण के पिता विशेश्श्र्वा एक ऋषि थे, उनके ज्ञान और बुद्धिबल के लिए उनकी कीर्ति पुरे संसार में फैली थी. एक बार जब देव और असुरों का युद्ध हुआ था, तब असुर युद्ध में बुरी तरह पराजित हुए थे. उस वक़्त असुर राज सुमाली अपनी पुत्री कैकसी के साथ छिपकर रसातल में रहकर अपनी पराजय का प्रतिशोध लेने की योजना बना रहे थे. तभी उन्हें विचार आया कि ऋषि विशेश्श्र्वा का विवाह अपने पुत्री कैकसी से कराये तो इस समस्या का समाधान हो सकता है.

पिता की आज्ञा का पालन करते हुए कैकसी ने ऋषि के आश्रम पहुची उस वक़्त ऋषि संध्या वंदन में लीन थे और आँख खोलते ही उन्होंने कैकसी जैसी अति सुन्दर को देखकर उसके आने का प्रयोजन पूछा. जिस समय कैकसी आश्रम में थी उस वक़्त उस दारुण बेला में उसने ऋषि विशेश्श्र्वा से विवाह का प्रस्ताव रखा लेकिन ऋषि ने कहा की इस बेला में होने वाली संतान ब्राह्मण कुल में होने के बाद भी राक्षसी प्रवृति की रहेगी.

कैकसी ऋषि की बात सुनकर उनके चरणों में गिर याचना करने लगी कि इस बात का कोई समाधान दीजिये. फिर ऋषि ने कहा की राक्षस प्रवृति की इस संतान के बाद एक और संतान होगी जो अत्यंत धार्मिक प्रवृति की होगी. इसके बाद ही कैकसी और विशेश्श्र्वा के दो पुत्र रावण और विभीषण हुए, जो बिलकुल अलग अलग प्रवृति के थे. जहाँ रावण राक्षस राज कहलाया वही विभीषण धर्मात्मा के रूप में जाने गए.

राक्षसराज के होने साथ रावण बहुत तपस्वी और ज्ञानी भी था, लेकिन यही ज्ञान ने उसे अहंकारी भी बना दिया था और  अहंकार ही उसके पतन का कारण भी बना. रावण संसार में उस काल में सबसे बलशाली व्यक्ति माना जाता था लेकिन श्रीराम से पराजित होने के अलावा रावण दुनिया में दो और व्यक्तियों से हार चूका था. रावण बहुत शक्तिशाली था  लेकिन सहस्त्रार्जुन और बाली दोनों से अलग-अलग युद्ध में पराजित हो चूका था. बाली से हुए युद्ध में तो रावण को इतनी करारी पराजय मिली थी कि बाली ने रावण को अपनी कांख में दबा पूरी पृथ्वी के चार चक्कर लिया था और रावण को मिली इस पराजय के बाद भगवान राम के साथ हुए युद्ध में राक्षसराज रावण का अंत ही हो गया था.

हिन्दू धर्म में हर साल मनाये जाने वाले इस पर्व का महत्व इसलिए भी हैं क्योंकि राम और रावण दोनों के जीवन से हर इंसान को अच्छाई और बुराई में फर्क कर पाने की सीख मिल पाती हैं जो कि हम सब के अत्यंत ज़रूरी हैं.

Sagar Shri Gupta

Share
Published by
Sagar Shri Gupta

Recent Posts

इंडियन प्रीमियर लीग 2023 में आरसीबी के जीतने की संभावनाएं

इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) दुनिया में सबसे लोकप्रिय टी20 क्रिकेट लीग में से एक है,…

2 months ago

छोटी सोच व पैरो की मोच कभी आगे बढ़ने नही देती।

दुनिया मे सबसे ताकतवर चीज है हमारी सोच ! हम अपनी लाइफ में जैसा सोचते…

3 years ago

Solar Eclipse- Surya Grahan 2020, सूर्य ग्रहण 2020- Youngisthan

सूर्य ग्रहण 2020- सूर्य ग्रहण कब है, सूर्य ग्रहण कब लगेगा, आज सूर्य ग्रहण कितने…

3 years ago

कोरोना के लॉक डाउन में क्या है शराबियों का हाल?

कोरोना महामारी के कारण देश के देश बर्बाद हो रही हैं, इंडस्ट्रीज ठप पड़ी हुई…

3 years ago

क्या कोरोना की वजह से घट जाएगी आपकी सैलरी

दुनियाभर के 200 देश आज कोरोना संकट से जूंझ रहे हैं, इस बिमारी का असर…

3 years ago

संजय गांधी की मौत के पीछे की सच्चाई जानकर पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक जाएगी आपकी…

वैसे तो गांधी परिवार पूरे विश्व मे प्रसिद्ध है और उस परिवार के हर सदस्य…

3 years ago