इसरो का वैज्ञानिक – इस दुनिया में कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता, लेकिन कई बार ज्यादा पढ़े-लिखे लोग भले ही बेरोजगार रह जाएंगे लेकिन वो कोई ऐसा काम नहीं करना चाहते, जो उनके हिसाब से छोटा है.
उदाहरण के लिए अगर कोई लड़का MBA किया है और उसे जॉब नहीं मिल रही है तो वो गुस्से में रहेगा, किसी से बात नहीं करेगा, लेकिन अपने परिवार का पेट पालने के लिए वो कोई दुकान नहीं खोल सकता.
ऐसा करने पर उसकी तौहीन होगी.
लेकिन इस दुनिया में ऐसे कई लोग हैं, जो कम को छोटा या बड़ा नहीं समझते, बस अपने दिल की सुनते हैं और काम में लग जाते हैं.
आज हम आपको इसरो का वैज्ञानिक की एक ऐसी ही स्टोरी बताएंगे, जिसे सुनकर आपको हैरानी होगी. आपको समझ में नहीं आएगा कि भला ऐसा भी हो सकता है. असल में ये कहानी है IIM अहमदाबाद में चाय बेचने वाले रामभाई कोरी की, जो काफी लंबे समय से यहां चाय बेच रहे है. इन्हें देखकर आपको लगेगा की ये शुरुआत से ही चाय बेचते हैं, लेकिन ये सच नहीं है.
जी हाँ, सच ये नहीं है कि रामभाई शुरुआत से ही चाय बेचते हैं, बल्कि सच तो ये है कि ये शख्स पहले ISRO में काम कर चूका है.
जी हाँ इसरो में. अब आपके चेहरे की हवाइयां उड़ गई होंगी. चाय बेचने वाला ये शख्स 1962 में अहमदाबाद आया था और उन्होंने पढ़ाई के बाद टेक्निकल डिप्लोमा का कोर्स किया था. सपना था की बड़ी नौकरी करके अपने गाँव और घर का नाम रोशन करेंगे. किया भी कुछ ऐसा है. पढाई के बाद उन्होंने इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्जेनाइजेशन (इसरो) में काम किया.
यहाँ काम मिलते ही लोगों को लगा कि उनकी लाइफ सेट हो गई. रामभाई के गाँव और गहर वाले बहुत खुश हुए.
किस्मत और रामभाई के दिल को शायद ये मंज़ूर नहीं था.
उनकी मंजिल कहीं और थी. इसरो में काम तो मिल गया और नौकरी भी शुरू हो गई, लेकिन दिल अब भी भटक रहा था. शायद यही भटकन उन्हें नौकरी से इस्तीफ़ा देने के लिए मजबूर कर दिया. रामभाई कोरी ने बाद में नौकरी छोड़ दी. उसके बाद उन्होंने अपना बिजनेस खोलने की सोची और वो कामयाब नहीं हो सके.
घर वाले उन्हें बहुत सुनाए. सब उन्हें पागल कहने लगें, क्योंकि इसरो की नौकरी बहुत ही किस्मत वालों को मिलती है. ऐसे में उसे ठुकराकर यूँ दर दर की ठोकरें कोई पागल ही खा सकता है.
लोगों के ताने से रामभाई कोरी परेशान और हैरान नहीं हुए.
एक बार वो सडक पर चल रहे थे और अचानक उन्हें बीडी पीने का मन किया. आसपास कोई दुकान नहीं थी. तभी उनके दिमाग में आया कि क्यों न यहाँ चाय की दुकान खोली जाए. बस वही ख्याल उनके सपने को बढाने के लिए काफी था. उसके बाद उन्होंने ये दुकान खोली, जहां आज उनका आईआईएम के बच्चों से लेकर फैकल्टी तक से अच्चा रिश्ता है.
उनकी कहानी कई जगह छाप चुकी है. इसरो का वैज्ञानिक से मिलने के लिए बच्चे चाय की दुकान पर भीड़ लगाए रहते हैं.
ये है इसरो का वैज्ञानिक की कहानी – रामभाई पर IIM के स्टूडेंट शोध कर चुके हैं. सिर्फ पढ़ाई करके ही नाम नहीं कमाया जा सकता, पैसा और नाम कमाने के छोटे छोटे रस्ते भी होते हैं.
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