हिंदू धर्म में कई चीजों की मान्यताएंहैं जिनमें नज़र लगना भी एक है।
अगर कोई बीमारी पड़ जाता है या अचानक से उसे कोई सेहत संबंधित समस्या आ जाती है तो लोग कहते हैं कि उसे नज़र लग गई है। वहीं व्यापार में भी लगातार हो रहे नुकसान और घाटे को भी नज़र दोष का कारण बताया जाता है।
क्या कभी सोचा है कि ये नज़र दोष क्यों होता है और वाकई में ऐसा कुछ है या नहीं ?
क्या होता है नज़र लगना
नज़र लगने को एक दोष माना जाता है। जब कोई व्यक्ति किसी दूसरे की संपन्नता और सफलता को देखकर उससे ईर्ष्या रखने लगता है और उस ईर्ष्या के वशीभूत होकर कुछ गलत कह दे तो उसे नज़र लग सकती है।
नज़र लगने के प्रभाव
कई बार नज़र लगने या नज़र दोष की वजह से इंसान का पूरा जीवन बर्बाद हो जाता है। उसका बना-बनाया व्यवसाय खत्म हो जाता है और उसकी सारी संपन्नतानष्ट होने लगती है।
नज़र लगने के लक्षण
अगर आपको किसी व्यक्ति में कुछ विशेष तरह के नकारात्मक लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो इसका मतलब है कि उसे नज़र दोष लग गया है।
नज़र लगना – नज़दोष के लक्षणों में खुजली होना, क्रोध आना, लड़ने का मन करना, वैवाहिक जीवन में अनबन होना, कामुकता का अधिक पैदा होना, नाखून चबाते रहना और ज्यादा सोना शामिल है। अगर किसी व्यक्ति में ये सब चीज़ें दिखाई देती हैं तो इसका मतलब है कि उसे किसी की बुरी नज़र लग गई है।
विज्ञान में नज़र लगने का तर्क
विज्ञान और समाज में नज़र लगने या ना लगने को लेकर अपने अलग-अलग तर्क दिए जाते हैं। सामाजिक रूप से माना जाता है कि इंसान, वर्ग या वस्तु को किसी की नज़र लग सकती है जिससे उसका नुकसान होने की संभावना रहती है। वहीं विज्ञान इस बात को पूरी तरह से सही नहीं मानता है लेकिन फिर उसका कहना है कि हमारी आंखों से कुछ ऐसी तरंगें निकलती हैं जो सामने वाली वस्तु और व्यक्ति पर नकारात्मक और सकारात्मक असर डालती हैं। अगर ये तरंगें बहुत तेज होंगीं और इनमें नकारात्मक प्रभाव रहेगा तो सामने वाले व्यक्ति पर इसका बुरा असर पड़ेगा।
नज़र दोष दूर करने के उपाय
जिस व्यक्ति को नज़र लग गई हो उसके सिर के ऊपर से दूध तीन बार उतारकर कुत्ते को पीला दें। इससे नज़र उतर जाती है।
नज़र दोष को दूर करने के लिए रोज़ हनुमान जी की पूजा करें और हनुमान चालीसा का पाठ करें।
लोग हर चीज़ के बारे में वैज्ञानिक तर्क निकालने लगते हैं जबकि सच तो ये है कि इस दुनिया में कई चीजें और बातें ऐसी हैं जिनका कोई वैज्ञानिक तर्क नहीं है। ये सब बस मानव के दिमाग की उपज हैं और वो इन पर विश्वास करने लगता है और इन चीज़ों पर विश्वास करना ही इनका आधार है। आप इसे अंधविश्वास का भी नाम दे सकते हैं और आस्था का भी।
नज़र लगना – आपको बता दें कि इस दुनिया में ऐसी कई चीज़ें हैं जिनका वैज्ञानिक तर्क मिल पाना मुश्किल है क्योंकि विज्ञान नज़र दोष जैसी चीज़ों को नहीं मानता है।
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