वजू
मस्जिद में नमाज़ अदा करने से पहले आपने इस्लाम मानने वालों को अपने हाथ पैर धोते हुए देखा होगा. ये ठीक वैसा ही है जैसे हिन्दू मंदिर में जाने से पहले हाथ पैर धोते है.
वजू करने के लिए बहुत कम पानी का इस्तेमाल किया जाता है और शरीर का सिर्फ वही भाग साफ किया जाता है जो हवा के सम्पर्क में होता है. इसका भी कारण अरब का गर्म और धूलभरा वातावरण है.
अरब में पानी की बहुत कमी है और धूल से बचने के लिए लम्बे कपडे भी पहने जाते है. इसलिए मस्जिद में नमाज़ अदा करने से पहले सिर्फ हाथ मुहं और पैर ही धोये जाते है क्योंकि यही हिस्से लबादे या चोगे से बाहर होते है.
देखा आपने हिन्दू धर्म की मान्यताओं के पीछे जिस तरह बहुत से वैज्ञानिक और जलवायु सम्बंधित कारण है ठीक उसी प्रकार इस्लाम मानने वालों की भी वेशभूषा से लेकर खान पान तक सबकुछ विज्ञान या क्षेत्र विशेष की जलवायु से जुड़ा है.
आज भले ही इस्लाम की इन सब बातों को कट्टरता से जोड़ दिया गया हो लेकिन सच ये है कि ये सब बातें बस सुविधा के लिए ही शुरू की गयी थी.
कुरआन में कहीं जिक्र नहीं है कि इस्लाम मानने वाले को बुर्का टोपी या लम्बी दाढ़ी ज़रूरी है.