धर्म और भाग्य

क्या स्कूलों में दिया जा रहा है हिंदुत्व को बढ़ावा !

हिंदुत्व – हम सभी की जिंदगी में स्कूल का सबसे महत्वपूर्ण रोल होता हैं,  क्योंकि यही वो जगह होती है जहां से हम अपनी संस्कृति, समाज, अधिकार और देश के संविधान के बारे में जानते हैं।

स्कूल की यादों में वैसे बहुत कुछ ऐसा होता हैं . जिसे याद करके हमारे चेहरे पर मुस्कान आ जाती हैं । लेकिन किसी भी स्कूल की सुबह की प्रार्थना उस स्कूल के स्टूडेंस के लिए सबसे ज्यादा जरुरी होती है । जिसमें उन्हें अपने देश अपनी संस्कृति के प्रति  गर्व करना सीखाया जाता हैं । सुबह की प्रार्थना का जिक्र हमारे सविंधान में भी हैं । जिसमें स्कूल की सुबह की प्रार्थना को बहुत ही महत्वपूर्ण बताया गया हैं । लेकिन केंद्रीय विद्यालयों में सुबह होने वाली प्रार्थना में क्या हिंदुत्व को बढ़ावा हैं ?

ये सवाल हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा और जवाब मांगा ।

दरअसल हालही में एक टीचर की तरफ से कोर्ट में पीआईएल डाल कर सवाल पूछा गया कि केंद्रीय विद्यालयों में सुबह होने वाली प्रार्थना में क्यों एक धर्म को ज्यादा बढ़ावा दिया जा रहा हैं । क्योंकि सरकारी अनुदानों में चलने वाले स्कूलों में किसी एक धर्म को मुख्य रुप से प्रचलाति करना ठीक नहीं हैं ।

सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को पढने के बाद स्वीकार कर लिया और केंद्र और केंद्रीय विद्यालयों के स्कूल प्रबंधन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा हैं ।

सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस रोहिंटन फली नरीमन की अध्यक्षता वाले बेंच ने केंद्र और केंद्रीय विद्यालयों के स्कूल प्रबंधनों से नोटिस जारी कर सवाल पूछा कि केंद्रीय विद्यालयों में बच्चो को हाथ जोड़कर और आंख बंदक कर के प्रार्थना क्यों कराई जाती है ?

बेंच ने ये भी कहा कि यह एक महत्वपूर्ऩ मामला हैं जिसे गंभीरता से लेना जरुरी हैं । हालांकि हम सब जानते हैं कि आँख बंद करना और हाथ जोड़ना को किसी एक धर्म से ( हिंदुत्व ) जोड़कर भी देखना गलत हैं क्योंकि अगर विज्ञान के नजरिए से देखा जाए तो जब हम हाथ जोड़कर आंखे बंद करते हैं । तो हमारा ध्यान एक जगह रहता है और हमारी एकग्रता बढ़ती हैं जिसे बच्चों का मानसिक रुप से विकास होता हैं । और शमरण शक्ति बढ़ती हैं ।

आपको बता दें इस पीआईएल में संविधान के आर्टिकल 92 के अंतर्गत रिवाइस्ड एजुकेशन कोड ऑफ केंद्र विद्यालय संगठन की वैधता को चुनौती दी हैं । दरअसल  आर्टिकल 92 के मुताबिक “ स्कूलों की सुबह की शुरुआत प्रार्थना से होनी चाहिए. सभी बच्चे, टीचर्स और प्रिंसिपल इस प्रार्थना में सम्मलित होंगे ।”

दूसरे शब्दों में कहा जाए तो इस आर्टिकल में स्कूलों में सुबह होने वाली प्रार्थना के बारे में बताया गया हैं। पिटिनशनर के अनुसार सरकारी स्कूलों में प्रार्थना वैज्ञानिक मिजाज को प्रोत्साहन देने वाली होनी चाहिए ना कि किसी  धार्मिक प्रवृत्ति को बढ़ावा देने वाली ।  साथ ही जो संविधान के 28 और  आर्टिकल 19 को सरंक्षण देने वाले होना चाहिए ।  वहीं पीआईेएल डालने वाले टीचर का कहना है कि सरकारी स्कूलों में बच्चों को प्रार्थना करना क्यों जरुरी हैं । जिसे सही नहीं ठहराया जा सकता ।

Preeti Rajput

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