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इस गाँव को मरने से बचा लो, अपनी जान दे देंगे लोग अगर…

जल-जंगल और जमीन पर गाँव वालों का पूरा-पूरा हक़ है. जल से इनका जीवन चलता भी है तो बिगड़ता भी है.

जंगल इनको जीवन देता भी है तो कुछ जगह जीवन लेता भी है और इसी तरह से जमीन से इनका माँ जैसा रिश्ता होता है.

अब अगर आप इनमें से किसी भी एक चीज से खिलवाड़ करते हैं तो इन गाँव वालों का जीवन प्रभावित होना निश्चित है. मध्यप्रदेश में एक गाँव है खंडवा. इस गांव में 100 से ज्यादा लोग अपनी जान देने के लिए पानी में उतर चुके हैं. पिछले 22 दिनों से ये लोग पानी में ही हैं.

एक खुले खेत में सैकड़ों लोगों का जमावड़ा है और खेतों में भर चुके पानी में ही यह गाँव वाले सत्याग्रह पर बैठ चुके हैं. बच्चे से लेकर बुजुर्ग और महिलायें भी इस आंदोलन में शामिल हैं. यहाँ नारे लग रहे हैं कि ‘जान दे देंगे, मगर जमीन नहीं जाने देंगे’.


क्या है पूरा मामला

खंडवा जिले में नर्मदा नदी पर बने ओंकारेश्वर बांध का जलस्तर 189 मीटर से बढ़ाकर 191 मीटर कर दिया है, इसके चलते कई खेत पानी में डूब चुके हैं तो कई खेतों की ओर पानी बढ़ रहा है. सरकार के इस फैसले के खिलाफ किसान और नर्मदा बचाओ आंदोलन के सदस्य 11 अप्रैल से घोगलगांव में जल सत्याग्रह कर रहे हैं.

ये लोग पानी में खड़े हुए हैं. इनका बोलना है कि सरकार हमें हमारा हक़ नहीं दे रही है. इस बांध की वजह से हमसे सब कुछ चला गया है, हमें सरकार जमीन नहीं दे रही है, मुआवजा उचित नहीं मिल रहा है. सरकार हमारी नहीं सुनेगी तो हम अपनी जान दे देंगे.

मछलियां काट रही है इनको और पैरों से खून आने लगा है

पिछले 22 दिन से पानी में रहकर जल सत्याग्रह कर रहे सत्याग्रहियों के पैरों की खाल गल रही है, खून रिस रहा है और मछलियां उसे अपना निवाला बनाए जा रही हैं. लोगों के पैर अब गल रहे हैं. मगर अपने हक़ की लड़ाई में कोई भी पीछे नहीं हटना चाहता है.

साथ ही इनके पैरों में सूजन, शरीर दर्द, खुजली और बुखार की शिकायतें बढ़ रही हैं. इन गाँव वालों का साफ कहना है कि अगर सरकार बात नहीं सुनेगी तो उनकी जल समाधि हो जाएगी. डॉक्टर की टीम ने जल सत्याग्रहियों के पैरों की जांच की और सत्याग्रहियों को इलाज की सलाह दी मगर उन्होंने उपचार लेने से मना कर दिया है.

सरकार का रूख

शिवराज सिंह की सरकार इस बात की पुष्टि कर चुकी है कि पानी का स्तर अब बढ़ चुका है. पहले इन गाँव वालों से पूरी बात हो चुकी थी, इनको जमीन दी जा चुकी हैं और अब अचानक इस तरह से सत्याग्रह करना सही नहीं है.

हो रही है राजनीति

इस पूरे मुद्दे पर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस राजनीति कर रही है. सूत्रों से यह भी ख़बरें आ रही हैं कि परदे के पीछे से कुछ लोग इस सत्याग्रह को पूरा सपोर्ट कर रहे हैं ताकि बेशक लोगों की जान जाए किन्तु राजनीति करने का मौका हमको मिलता रहे.

अब ऐसे में जो लोग सत्याग्रह कर रहे हैं उनको रोकने के लिए साकार कोई भी ठोस कदम क्यों नहीं उठा पा रही है इस बात के शिवराज जी की निंदा बेशक हो रही है किन्तु जो लोग इस मुद्दे पर राजनीति कर रहे हैं उनो समझना होगा कि अगर 100 लोगों की जान चली जाती है तो लगभग पूरा गाँव भी बर्बाद हो जायेगा.

अगर आपको इनके हक़ की लड़ाई लड़नी है तो इनके बातचीत सरकार से कराओ और अगर इनके साथ आपको खड़े होने का इतना ही सोख है तो आप भी इनके साथ पानी में क्यों नहीं खड़े हो जाते हैं.

इस गाँव को मरने से बचा लो कोई, अगर इनके हक़ इनको नहीं मिलते हैं तो अपनी जान दे देंगे ये लोग.

Chandra Kant S

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Chandra Kant S

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