पाकिस्तान और सऊदी – पाकिस्तान में इस साल हुए चुनावों के बाद कुछ बदलाव की उम्मीद की जा रही है ऐसा इसलिए क्योंकि पाकिस्तान में पहली पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेटर इमरान खान की पार्टी तहरीक ए इंसाफ सत्ता में आ गई है ।
इमरान खान ने 13 अगस्त को प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी । जिसके साथ ही इमरान खान ने अपने चुनावों के दौरान किए वादों को जल्द पूरा करने की ओर भी इशारा किया जिनमें एक वादा पाकिस्तान के दूसरे देशों के साथ रिश्तों को सुधारना भी था ।
इमरान खान ने हाल ही में सऊदी अरब जाने की घोषणा भी की । जिसकी जानकारी उनकी पार्टी तहरीक ए इंसाफ ने दी । इमरान खान ने अपने जारी बयान में कहा था कि विदेशी संबंधो के मामले में सऊदी अरब से पाकिस्तान के सबसे अच्छा संबंध है । सऊदी अरब पाकिस्तान का सबसे भरोसेमंद दोस्त है । साथ ही इमरान खान ने पाकिस्तान की विदेश नीति में सऊदी अरब की सुरक्षा को उनकी सबसे बड़ी प्राथमिकता बताया । और अगर पिछली कुछ रिपोर्टस पर नजर डालें तो पाकिस्तान और सऊदी अरब के रिश्ते हमेशा ही मजबूत रहे हैं । पाकिस्तान और सऊदी के बीच साल 1967 से ह सैन्य संबंध है । लेकिन इन सब के बावजूद भी पाकिस्तान और सऊदी अरब की दोस्ती के बीच अब भारत एक दीवार की तरह खड़ा है । ऐसा इसलिए क्योंकि पिछले कुछ सालों में सऊदी अरब के साथ भारत के साथ रिश्ते काफी सुधरे है ।
90 के दशक के बाद से भारत और सऊदी अरब के बीच नाटकीय संबंध थे । लेकिन साल 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बने के बाद सऊदी अरब और भारत के रिश्ते काफी मजबूत हुए । जिसे भारत सऊदी अरब के सबसे अच्छे मित्रों में शामिल हो गया है । पिछले चार साल में पीएम नरेंद्र मोदी 2 बार सऊदी अरब की यात्रा कर चुके है । जिसका परिणाम ये हुआ कि सऊदी अरब में काम की तलाश में जाने वाले भारतीयों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है । वहीं दूसरी तरह सऊदी अरब इस साल भारत का सबसे बड़ा तेल आयातक देश बन गया । जबकि भारत को तेल आयात करने वाले देश में इराक नंबर वन पर था । दरअसल पहले ईरान भारत का सबसे करीबी साझेदार था । लेकिन अमेरिका के ईरान पर कड़े प्रतिबंध लगाने के बाद सऊदी अरब भारत के लिए आर्थिक साझेदार के तौर पर अच्छा विकल्प बनकर सामने आया । जिस वजह से अब भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सऊदी ओर भी महत्वपूर्ण हो गया है । वहीं सऊदी अरब में भारतीयों की संख्या बढ़ जाने से सऊदी अरब का झुकाव भी भारत की तरफ काफी बढ़ा है ।
लेकिन सऊदी अरब के लिए ये बता पाना काफी मुश्किल है कि वो भारत और पाकिस्तान में से किस देश का ज्यादा अच्छा मित्र है और आने वाले समय में अगर ये दोनों देश एक दूसरे के खिलाफ खड़े होते है तो वो किसके साथ खड़ा होगा ।
ऐसा इसलिए क्योंकि सऊदी अरब के पाकिस्तान के साथ केवल व्यापारिक संबंध नहीं है सऊदी अरब की सेना बहुत ही कमजोर है । क्योंकि सऊदी अरब को हमेशा ही तख्तापलट का डर सताता है इसलिए उसने कभी भी अपनी सेना को मजबूत करने की कोशिश नहीं की और सैन्य शक्ति के लिए हमेशा ही अमेरिका और पाकिस्तान पर निर्भर रहा है ।
लेकिन सऊदी अरब पाकिस्तान से कहीं ना कहीं खफा भी है क्योंकि पाकिस्तान ने अपने कुछ समय में कतर और ईरान के साथ अपने संबंध मजबूत किए है जो सऊदी अरब के प्रमुख शत्रु है । जिस वजह से ये कहना काफी मुश्किल है कि सऊदी अरब पाकिस्तान और भारत में से किसके साथ खड़ा है लेकिन इतना जरुर कहा जा सकता है कि सऊदी अरब किसी भी कीमत पर भारत से अपनी मित्रता को खोना नहीं चाहेगा । क्योंकि सऊदी अरब की श्रमिक व्यवस्था और आर्थिक व्यवस्था काफी हद तक भारत और भारतीयों पर निर्भर है ।
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