जूनागढ़ की कहानी का सच आज भी आधे से ज्यादा भारत देश के लोगों को मालूम ही नहीं होगा.
एक इतिहासकार कहता है कि आजादी अगर मुफ्त में मिल जाये तो उनकी कद्र नहीं होती है. ऐसा ही कुछ आज हमारे साथ भी हुआ है.
आज हमें केवल अपना विकसित भारत नजर आता है. भारत ने एक आजादी की लड़ाई तो अंग्रेजों से लड़ी है वहीँ दूसरी लड़ाई पाकिस्तान से लड़ी जा रही है. इस लड़ाई से देश के बच्चे-बच्चे को वाकिफ किया जाना चाहिए.
ऐसा ही कुछ हुआ था जब आजादी के बाद गुजरात का जूनागढ़ पर पाकिस्तान कब्जा करने का मन बना चुका था. भारत के कुछ बड़े नेता तो जूनागढ़ को देने का भी मन बना चुके थे लेकिन तभी भारत के लाल सरदार पटेल ने जिम्मा संभाला था और जूनागढ़ रियासत को भारत में ही विलय करवाकर इन्होनें इतिहास लिख दिया था.
आज हम आपको सरदार पटेल का भाषण सुनाने वाले हैं जिसको सुनकर आप खुश हो जाओगे कि तब देश में एक नेता ऐसा भी था जो वाकई शेर था-
क्या है जूनागढ़ की पूरी कहानी?
इतिहास की पुस्तकें पढ़ने पर मालूम होता है कि शहनावाज भुट्टो (पाकिस्तान का उस समय का नेता) ने जूनागढ़ के नवाब मुहम्मद महाबत (जो उस समय जूनागढ़ का सरदार था) को अपने झांसे में पूरी तरह ले भी लिया था. अंग्रेजों ने इस रियासत को भी स्वतंत्र रखा था किन्तु यहाँ के नवाब ने खुद को पाकिस्तान में शामिल करने का एलान कर दिया था. लेकिन जूनागढ़ के लोग भारत में रहना चाहते थे.
सरदार पटेल ही उस समय के एक ऐसे नेता थे जो इस विलय को रोक सकते थे. इसलिए कई स्वतंत्रता सेनानियों ने पटेल जी के इशारे पर जूनागढ़ के गाँवों पर कब्जा करना शुरू कर दिया था. जब नवाब मुहम्मद महाबत ने जनता की आवाज सुनी तो उसके होश ही खराब हो गये. वह समझ गया था कि जनता अब मुझे मार देगी. इसलिए सही समय को देखते हुए वह भारत से भागने में ही अपनी भलाई समझता है.
और इस तरह से जूनागढ़ को पाकिस्तान बनने से रोक लिया गया था. इसका श्रेय सिर्फ और सिर्फ सरदार पटेल को ही जाता है.
पाकिस्तान को जब सरदार पटेल ने ललकारा था
सरदार पटेल का भाषण में आप सुन सकते हैं कि सरदार पटेल ने आज से इतने सालों पहले ही जाना लिया था कि पाकिस्तान भारत पर छुपकर वार करने का काम करेगा. पाकिस्तान को सरदार ने सामने से लड़ने के लिए खुलेआम ललकारा था. किन्तु आज तक पाकिस्तान इतनी हिम्मत नहीं जुटा पाया है कि वह भारत पर सामने से वार कर सके.
आप जब सरदार पटेल का भाषण सुनेंगे तो निश्चित रूप से आप समझ जायेंगे कि यह भारत का दुर्भाग्य ही है जो हम इस महान नेता के कार्यों को आज तक नहीं समझ पाए हैं.
काश कि देश के पहले प्रधानमंत्री सरदार पटेल जी बन गये होते.