सरदार पटेल का दोस्ती निभाने में भी कोई सानी नहीं था.
महात्मा गाँधी और नेहरु से दोस्ती से पहले भी वो हमेशा से दोस्ती के लिए कुछ भी कर गुजारने वालों में से थे. बात उस समय की है जब 1930 में भारत में प्लेग का प्रकोप हुआ. पटेल को पता चला कि उनके बचपन का एक दोस्त प्लेग से पीड़ित है. लोगों के मना करने के बाद भी सरदार पटेल अपने मित्र की सेवा करने के लिए पहुँच गए. सेवा करते करते पटेल खुद भी प्लेग की चपेट में आ गए.
ऐसी थी उनकी मित्रता जिसमे वो अपनी जान की परवाह भी नहीं करते थे.