हर देश के लिए उसका पार्लियामेंट हाउस बहुत खास होता है। भारत का संसद भवन देश की ऐतिहासिक धरोहर है। संसद भवन सर्वाधिक भव्य भवनों में से एक है जहां दुनिया के किसी भी देश में मौजूद वास्तुकला के उत्कृष्ट नमूनों की उज्जवल छवि मिलती है।
दिल्ली में घूमने आने वाले लोग संसद भव को देखने जरूर जाते हैं।
संसद के अहाते में ही लोक सभा और राज्य सभा दोनों स्थित हैं। आजादी से भी पहले की इमारत है संसद भवन और इसे आप देश की कला और वास्तुशिल्प का एक कमाल का बेजोड़ नमूना कह सकते हैं।
सालों पहले संसद भवन के निर्माण में 83 लाख रुपए की लागत के साथ 17 साल का समय लगा था। संसद भवन की नींव 12 फरवरी 1921 को ड्यूक ऑफ क्नॉट ने रखी थी। संसद भवन की अभिकल्पना दो मशहूर वास्तुकारों – सर एडिवन लुटियंस और सर हर्बर्ट बेकर ने की थी जो नई दिल्ली की आयोजना और निर्माण के लिए उत्तरदायी थे। संसद भवन की आधारशिला 12 फरवरी, 1921 को महामहिम द ड्यूक ऑफ क्नॉट ने रखी थी। इस भवन के निर्माण में 6 साल लगे थे और इसका उद्घाटन समारोह भारत के तत्काली गवर्नर जनरल लॉर्ड इर्विन ने 18 जनवरी, 1927 को आयोजित किया था।
संसद भवन का क्षेत्रफल
आपको बता दें कि संसद भवन एक विशाल वृत्ताकार भवन है जिसका व्यास 560 फुट है और इसकी परिधि एक मील की एक तिहाई 563.33 मीटर है और य लगभग 6 एकड़ क्षेत्रफल में फैला हुआ है। इकसे प्रथम तल पर खुले बरामदे के किनारे-किनारे क्रीम रंग के बालुई पत्थर के 144 स्तंभ हैं और हर स्तंभ की ऊंचाई 27 फुट है। भवन के 12 द्वार हैं जिनमें से संसद मार्ग पर स्थित द्वार नं 1 मुख्य द्वार है।
बहुत कुछ अलग है
आज हम आपको इस लेख के ज़रिए कुछ ऐसा बताएंगें जिसे जानना आपके लिए बहुत जरूरी है। हाल ही में संसद उस वक्त भी सुर्खियों में आया था जब भारत के 14वें राष्ट्रपति के तौर पर रामनाथ कोविंद ने शपथी ली थी। देश के नए राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह में लगभग सभी पार्टियों के नेता शामिल हुए थे लेकिन इस समारोह में कई चीज़ें ऐसी देखने को मिली जो पहले कभी देखी और सुनी नहीं गई थीं।
संसद में लगे उल्टे पंखे
इस दौरान लोगों का सबसे ज्यादा ध्यान सेंट्रल हॉल में राष्ट्रपति कोविंद के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान कमरे की सीलिंग पर लगने वाले पंखे संसद में उल्टे लगे हुए दिखे। उल्टे लगे पंखों को देखकर हो कोई इसके पीछे का कारण जानना चाहता था। बहुत से लोगों में इस बात को लेकर बहुत उत्सुकता देखी गई कि आखिर संसद में पंखे उल्टे क्यों लगे हैं।
दरअसल, राष्ट्रपति भवन में उल्टे पंखे लगे होने की वजह आपको हैरान कर देगी। विशेषज्ञों की मानें तो ये पंखे शुरु से ही यहां उल्टे लगे हुए हैं। सालों से संसद भवन की ऐतिहासिकता को बनाए रखने के लिए इनके साथ कोई बदलाव नहीं किया गया है और इस वजह से ये आज भी उल्टे ही लगे हुए हैं और शायद हमेशा ऐसे ही रहें। लेकिन एक बात तो माननी पड़ेगी कि हमारे देश में कुछ मुमकिन हो सकता है आर इस बात का सबूत ये पंखे ही हैं।