हद हो गई भलमंसाहत की। एक तो वो पाकिस्तान है जो हर समय हम पर चोरी-छिपे कमान छोड़ने लगता है।
कभी बंदूक़ से वॉर तो कभी मानसिक प्रहार।
लाख मना करने और समझाने को बाद भी कोई असर दिखाई नहीं देता। अब क्या भारत यूँ ही पाक को माफ़ करता रहेगा।
हम पूछते हैं आख़िर ऐसा कब तक चलेगा?
कुछ ऐसा ही ग़ुस्सा है भारतीय स्नूकर पंकज आडवाणी का। १३ बार के विश्व स्नूकर चैंपियन पंकज का दिमाग़ तब गरम हो गया जब पाकिस्तान की बहू सानिया मिर्ज़ा को खेल का सर्वोच्च पुरस्कार राजीव गांधी खेल रत्न से नवाज़ा गया। पंकज का ग़ुस्सा भी जायज़ है। अब भला ऐसी क्या जल्दी थी कि सरकार को तुरंत ये अवॉर्ड सानिया को देना पड़ा। ऐसे में बाक़ी खिलाड़ियों पर इसका क्या असर पड़ेगा।
एक तरफ़ तो ये भी सवाल उठता है कि सानिया नाम भारत के साथ जुडे रहने के साथ ही पाक के साथ भी रहता है।
सानिया की उपलब्धियों पर पाक भी गुमान करता है। उसे लगता है कि उसकी बहू द्वारा किया गया काम उसके नाम को बढ़ा रहा है। सच भी है ये। आख़िर सानिया उसकी बहू हैं, पाकिस्तानी बहू है । और बहू का सब कुछ उसके ससुराल वालों का होता ही है। ऐसे में पाक ग़लत नहीं है, लेकिन ग़लत तो भारत है। जो अपने बेटे-बेटियों से ज़्यादा दूसरे की बहू का ख़्याल कर रहा है
पंकज आडवाणी की नाराज़गी सिर्फ़ अपने लिए नहीं है। उनका कहना है कि देश की और भी खिलाड़ी हैं जो सानिया ये कहीं उम्दा काम किए हैं, लेकिन सिर्फ़ सानिया का नाम ही क्यों लिया जाता है। क्यों उनको अवॉर्ड दिया गया।
सच में देखा जाए तो पंकज सही हैं।
अब सरकार को उनकी बात पर ग़ौर करना चाहिए। सिर्फ़ पंकज ही नहीं देश के बहुत से लोगों ने इसे इनकार किया और पाकिस्तानी बहू को अवॉर्ड देने की बात की निंदा की।
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