इस कुएं के बारे में एक और मान्यता यह भी है कि यह कुआँ बंगाल स्थित गंगा सागर से जुड़ा हुआ हैं. इस बात का यह प्रमाण हैं कि ब्रिटिश काल के दौरान किसी अंग्रेज़ की छड़ी गंगा सागर में बह गयी थी और इतनी दूर पटना के इस कुएं में तैरती मिली थी. तब से उस छड़ी को कोलकाता के मुज़ियम में रखा जाता हैं.
इस कुएं की खोज की ब्रिटिश काल के लारेंस वाडेल ने 1902-03 में की थी. उन्हें इस कुएं से सबसे पहले पुरातन काल से जुडी कई मुर्तिया मिली थी. इस कुएं के पास आज भी शीतला माता का एक मंदिर हैं जिसमे लोग अपनी आस्था के अनुसार आकर पूजा करते हैं, लेकिन देवी पूजा से पहले सभी लोग इस कुएं की पूजा करते हैं.
कहा जाता हैं कि कुएं का पानी हमेशा अपना रंग बदलता रहता हैं. इस पानी से कुष्ट रोग और चिकन पॉक्स की बीमारी से राहत मिलती हैं, साथ ही कहा जाता हैं कि यहाँ आ कर मानी गयी संतान प्राप्ति की मनोकामना पूरी होती हैं.