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भारत को डिजीटल इंडिया बनाने वाला ये शख्स सिर्फ एक रुपए सालाना में करता था काम !

सैम पित्रोडा

4 मई, 1942 को सत्‍यनारायण गंगाराम पित्रोदा – सैम पित्रोडा – का जन्‍म हुआ था।

ओडिशा के छोटे-से गांव तीतलागढ़ में जन्‍म लेने वाले सैम टेलिकॉम इंजीनियर, इंवेंटर और इंटरप्रीन्‍योर हैं। भारत में टेलिफोन और डिजीटल क्रांति का जनक इन्‍हें ही कहा जाता है।

बचपन से ही सैम पित्रोडा को कुछ नया करने की ललक रहती थी। वर्तमान में सैम पित्रोडा भारतीय प्रधानमंत्री के जनसूचना एवं नवप्रर्तन सलाहकार के रूप में कार्यरत हैं। प्रधानमंत्री के सलाहकार के रूप में उनकी भूमिका विभिन्‍न क्षेत्रों में नागरिकों को मिलने वाली सुविधाओं को प्रभावी बनाना और नवप्रर्वतन के लिए रोडमैप तैयार करना है।

साठ और सत्तर के दशक में पित्रोदा दूरसंचार और कंप्‍यूटिंग के क्षेत्र में तकनीक विकसित करने की दिशा में काम करते रहे।

सैम पित्रोडा के नाम सौ से भी ज्‍यादा पेटेंट हैं। सैम पित्रोडा ने इंदिरा गांधी के शासनकाल में भी देश को डिजीटल बनाने की दिशा में काम किया है। साल 1984 में भारत के तत्‍कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने पित्रोदा को भारत आकर अपनी सेवाएं प्रदान करने के लिए कहा था। राजीव गांधी की हत्‍या होने के बाद पित्रोदा वापिस विदेश चले गए थे और काफी समय बाद भारत लौटे थे।

सैम पित्रोडा ने 1994 में ई वॉलेट के पेटेंट के लिए आवेदन किया था जो 2 साल बाद मिला।

सन् 1996 में ई वॉलेट लाने का सिर्फ सपना ही देखा जा सकता था क्‍योंकि उस समय स्‍मार्टफोन नहीं हुआ करते थे। केवल वॉलेट के लिए डिवाइस बनाना सफेद हाथी पालने जैसा था। लेकिन आज स्‍मार्टफोन के युग में ई वॉलेट का सपना सच हो सका है।

फिलहाल सैम पित्रोडा कम्‍युनिकेशन इंजीनियरिंग पर किताबें लिख रहे हैं। 2010 में इनकी किताब द मार्च ऑफ मोबाइल बनी आई थी। इस बुक में ई-वॉलेट के कॉन्‍सेप्‍ट को बहुत अच्‍छी तरह से समझाया गया है।

इस तरह भारत में डिजीटल डिवाइस और ई वॉलेट का जनक सैम पित्रोडा को माना जाता है। उन्‍होंनें देश के विकास में महत्‍वपूर्ण योगदान दिया है।