उत्तर भारत में हनुमान शायद सबसे ज्यादा प्रसिद्ध और प्रचलित भगवान् माने जाते है.
गणपति की तरह ही हनुमान को भी बाल सखा की तरह ही पूजा जाता है. देशभर में हनुमान की विभिन्न रूपों में पूजा की जाती है.
भारत में अगर आकलन किया जाए तो सबसे ज्यादा मंदिर भगवान् शिव, हनुमान जी और देवी के ही मिलते है.
हर मंदिर की अपनी अपनी विशेषता होती है.
आज हम आपको एक ऐसे हनुमान मंदिर के बारे में बताते है जो पूरे भारत में प्रसिद्ध है.
एक ऐसा हनुमान मंदिर जहाँ हनुमान जी की दाढ़ी और मूंछ वाले विशेष रूप की पूजा की जाती है.
राजस्थान में जयपुर से करीब 180 किलोमीटर दूर है चुरू जिला. चुरू जिला वैसे तो बहुत सी चीज़ों के लिए देशभर में प्रसिद्ध है.
जैसे की यहाँ की हवेलियाँ और यहाँ का विषम जलवायु. जलवायु ऐसा की गर्मियों के दौरान तापमान 50 डिग्री तक हो जाता है और सर्दियों में माईनस चार डिग्री तक. इन सब के अलावा चुरू ज़िले में हनुमान जी का बहुत ही प्रसिद्ध मंदिर है. जिसे सालासर बालाजी के नाम से जाना जाता है.
जिला मुख्यालय चुरू से करीब 90 किलोमीटर दूर स्थित है सालासर गाँव. इस गाँव में बना है सालासर बालाजी का प्राचीन मंदिर. इस मंदिर की मान्यता ना सिर्फ आस पास के इलाकों में और राजस्थान में ही नहीं अपितु पूरे उत्तर भारत में है.
इस मंदिर में हनुमान जी की जो मूर्ति है वो अपने आप में अनोखी है. इस मूर्ति में हनुमान जी के दाढ़ी और मूंछे है. इस प्राचीन मूर्ति के बारे में कहा जाता है कि परम हनुमान भक्त मोहन दास के स्वप्न में हनुमान जी आये थे और उन्होंने उस स्थान पर अपनी उपस्थिति के बारे में मोहनदास को बताया.
शुरू में सालासर हनुमान का मंदिर बहुत छोटा सा था और सिर्फ आस पास के लोग ही इस मंदिर में पूजा अर्चना करने आते थे.
धीरे धीरे इस मंदिर की मान्यता बढ़ी और दूर दूर से लोग इस मंदिर में हनुमान जी के अनोखे रूप के दर्शन करने और अपनी मनोकामनाएं पूरी करने के लिए मन्नत मांगने आने लगे.
अब यह मंदिर एक भव्य रूप ले चूका है. मंदिर की वजह से सालासर जैसे छोटे से गाँव का भी बहुत विकास हुआ है.
जो गाँव पहले आधारभूत सुविधाओं से भी वंचित था आज उस गाँव में श्रद्धालुओं के लिए हर सुविधा उपलब्ध है.
साल में दो बार सालासर हनुमान मंदिर में मेला लगता है.
एक बार गर्मियों के समय और दूसरी बार सर्दियों में. दोनों ही मौकों पर लाखों की तादाद में देश भर से भक्तगण इस मंदिर में दर्शनार्थ आते है.
सालासर हनुमान का मंदिर देश में अपनी तरह का अनूठा ही मंदिर है. इस तरह की हनुमान प्रतिमा देश के और किसी भी मंदिर में नहीं है. यहाँ मंदिर में अक्सर लोग 50 किलो मात्र में प्रसाद चढ़ाते है जिसे स्थानीय भाषा में सवामणी कहा जाता है.
सालासर हनुमान जी की मान्यता का ये असर है कि ना सिर्फ चुरू या उसके आसपास के इलाके के लोग बल्कि हरियाणा, पंजाब जैसे दूर दूर के राज्यों से भी लोग इन मेलों के समय पैदल यात्रा करके मंदिर आते है.
आखिर कुछ तो चमत्कार है इस मंदिर में तभी तो चिलचिलाती धुप में लोग सैकड़ों किलोमीटर का सफर पैदल तय करके अपने इष्ट द्व के दर्शन करने आते है.
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