पदक जीतना, पदक जीतना है..
आखिरकार भारत का ये इंतज़ार खत्म हुआ.
फ्रीस्टाइल महिला पहलवान साक्षी मलिक ने वो कर दिखाया है, जिसका हम सभी को बेसब्री से इंतज़ार था.
ये बताते हुए हमें हार्दिक खुशी हो रही है कि फ्रीस्टाइल महिला पहलवान साक्षी मलिक ने बुधवार को रियो ओलंपिक में कांस्य पदक जीता है.
23 साल की साक्षी मालिक ने कजाकिस्तान की अइसुलू टाइबेकोवा को 58 किलोग्राम वर्ग में बुरी तरह हराकर देश का गौरव बढाया है. कोरिओका एरेना-2 मे हुए इस मुकाबले मे पहले तो साक्षी मलिक 0-5 से पीछे थीं, लेकिन दूसरे राउंड में उन्होंने 8-5 से जीत हासिल की.
एक ख़ास बात तो ये है कि साल 2015 में हुए एशियन चैम्पियनशिप में पोडियम फिनिश करने वाली साक्षी ओलम्पिक में कुश्ती में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन गई हैं.
इससे पहले साक्षी मलिक रियो ओलंपिक के 12वें दिन बुधवार को फ्रीस्टाइल स्पर्धा के 58 किलोग्राम भारवर्ग के क्वार्टरफाइनल में हार गईं. इसी के साथ उनसे गोल्ड या सिल्वर मेडल की भारत की उम्मीदें भी टूट गईं.
हालांकि रेपचेज में उन्हें मौका मिल गया और वे कांस्य जीतने में सफल रहीं.
आइए आपको साक्षी की ज़िन्दगी के बारे में कुछ बताते है.
साक्षी एक बस कंडेक्टर की बेटी है. साक्षी के पिता सुखबीर मलिक दिल्ली ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन में काम करते है. साक्षी की माता श्री नहीं चाहती थी कि साक्षी पहलवान बने. उनका मानना था कि पहलवानी से बुद्धी कम होती है, बावजूद इसके साक्षी मलिक ने 12 साल की उम्र से ही पहलवानी करनी शुरू कर दी.
दरअसल साक्षी मलिक के दादा जी भी पहलवानी करते थे.
साक्षी रोजाना 6 से 7 घंटे प्रेक्टिस करती है. ओलंपिक की तैयारी के लिए वे पिछले एक साल से रोहतक के साईं स्पोर्ट्स अथोरिटी ऑफ़ इंडिया होस्टल में रह रही थी.
साक्षी ने पहलवानी के बावजूद पढाई में भी अच्छे रिकोर्ड्स कायम किए है.
इनके घर देखे तो पहलवानी की वजह से गोल्ड, सिल्वर, और कास्य मेडलों का ढेर सा लगा हुआ है.
हमारी ओर से साक्षी मलिक को बहोत बहोत हार्दिक शुभकामनाएं…