नदी के बीचों बीच हजारों शिवलिंग… और उन शिवलिंगों का अभिषेक करती नदी की जलधारा
ज़रा सोचिये कैसा मनोरम दृश्य होगा ये? ये किसी फिल्म या टीवी सीरियल का दृश्य नहीं है ये ये सच्चाई है.
हमारा देश एक से बढ़कर एक अनूठे मंदिरों और देव स्थानों के लिए प्रसिद्ध है. खासकर भगवान् शिव के बहुत सारे अद्भुत स्थान है.
भगवान् शिव का ऐसा ही अनूठा स्थान कर्नाटक के एक छोटे से गाँव में स्थित है. इस स्थान पर कोई शिव मंदिर नहीं ये पूरा स्थान ही एक शिव मंदिर है.
यहाँ शलमाला नदी के तट पर और नदी के आसपास वाले इलाके में हजारों की संख्या में शिवलिंग स्थापित किये गए है. इन अनूठे शिवलिंगों के अलावा शिवपुराण के बहुत से पात्रों को भी नदी के आसपास की चट्टानों में उकेरा गया है.
हजरों शिवलिंग एक ही स्थान पर होने की वजह से इस स्थान को सहस्रलिंग भी कहा जाता है.
किसने कराया ऐसे अनूठे शिवलिंग का निर्माण
कहा जाता है की अब से करीब 500 वर्ष पहले 16वीं शताब्दी में सदाशिव राय नाम के प्रसिद्ध राजा हुए थे. सदाशिव राय भगवान् शिव के बहुत बड़े भक्त थे. वो भगवान् शिव को एक अद्भुत भेंट देना चाहते थे. एक ऐसी भेंट जिसमे भगवन शिव की अर्चना हमेशा होती रहे. इस विचार को ध्यान में रखते हुए राजा ने शलमाला नदी के तट पर हजारों शिवलिंग का निर्माण कराया. एक बड़े क्षेत्र में शिवलिंग के साथ साथ भगवन शिव के प्रियजनों को भी चट्टान पर तराशा गया.
नदी के तट और उसके आसपास बनाये जाने की वजह से इन शिवलिंग का चारों पहर जलाभिषेक स्वयं शलमाला नदी द्वारा किया जाता है.इस अनूठे स्थान के दर्शन करने और पूजा अर्चना करने हर साल लाखों श्रद्धालु यहाँ आते है.
शिवरात्रि के समय और श्रावण मास में यहाँ देशभर से लोग आते है और भगवान शिव की पूजा अर्चना करते है. इस प्रकार का ये स्थान पूरी दुनिया में अनूठा है. यहाँ बने शिवलिंग चट्टानों से ही बनाये गए है, इन्हें कहीं बाहर से लाकर स्थापित नहीं किया गया है.
इस स्थान पर जाने के लिए सबसे अच्छा समय नवम्बर से मार्च के बीच रहता है. हुबली से यहाँ रेल या सडक मार्ग द्वारा आना सबसे आसान रहता है.
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