इराक में तानाशाही के दम पर लगभग 30 साल तक राज करने वाले सद्दाम हुसैन को लेकर कई कहानियां और किस्से प्रचलित हैं.
उन्हीं में से एक यह भी है कि इराक के राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन ने सद्दाम हुसैन ने खुद के खून से कुरान की एक प्रति लिखवाई थी. कहते हैं कि यह बात 90 के दशक की है. जब सद्दाम ने कुरान लिखने के लिए समय समय पर खून दिया. जोकि करीब 27 लीटर खून था.
हालांकि खून में कुछ केमिकल्स भी मिलाए गए थे.
राजनीति जनकारों का मानना है कि शिया मुस्लिमों के बीच अपना समर्थन हासिल करने के लिए सद्दाम ने ऐसा किया था. क्योंकि इराक एक शिया बहुल देश है जहां कि सद्दाम हुसैन जिस सुन्नी समुदाय से आते हैं वह वहां पर अल्पसंख्यक हैं.
लेकिन आप को जानकर आश्चर्य होगा कि जब 30 दिसंबर 2006 को पूर्व इराकी तानाशाह सद्दाम हुसैन को फांसी पर चढ़ाया गया तो उसके बाद सवाल उठा कि उनकी मौत के बाद सद्दाम के खून से लिखी कुरान का क्या किया जाए.
क्योंकि एक ओर जहां पवित्र किताब को नष्ट करना भी ठीक नहीं था तो दूसरी और सद्दाम के खून से लिखी किताब को संभालकर रखना भी अधिकारी नहीं चाह रहे थे. लेकिन बाद में इसे संरक्षित किया गया.
हालांकि अधिकारियों को यह तय करने में काफी मशक्कत करनी पड़ी कि इसका क्या किया जाए.
बहराल, सद्दाम के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने 1957 में 20 साल की उम्र में स्कूल की पढ़ाई छोड़कर क्रांतिकारी अरब बाथ पार्टी ज्वाइन कर ली थी.
आपको हैरानी होगी कि इस दौरान सद्दाम ने कुछ समय स्कूल में अध्यापक का काम भी किया था. लेकिन 1958 में इराक में तख्तापलट हुआ और सद्दाम को चचेरे भाई की हत्या के आरोप में जेल में डाल दिया गया.
लेकिन 10 माह के बाद सबूतों के अभाव में जेल से रिहा हुए सद्दाम ने 1979 में सद्दाम हुसैन ने खराब स्वास्थ्य के नाम पर जनरल अहमद हसन अल बक्र को इस्तीफा देने पर मजबूर कर दिया और खुद देश के राष्ट्रपति की गद्दी संभाल ली.
बताते चले कि एक भूमिहीन सुन्नी परिवार में जन्में सद्दाम का पूरा नाम सद्दाम हुसैन अब्द अल-मजीद अल-टिकरी था. सद्दाम का परिवार पैगम्बर मोहम्मद के वंशज होने का दावा किया करता है.
सद्दाम हुसैन को अमेरिकी फौजों ने ईराक के किरकुक इलाके से एक सुरंग से गिरफ्तार किया तो उन पर इराकी नागरिकों हत्या करने आदि कई मुकदमें चले. जिनमें उन्हें फांसी की सजा दी गई. फांसी से बचने की अपील भी की, लेकिन उसकी अपील खारिज कर दी गई.
कहा जाता है कि मरने वाले की अंतिम इच्छा पूछकर उसे पूरा किया जाता है. उसकी अंतिम इच्छा थी कि उन्हें फांसी की बजाय शूट करके मारा जाए, ताकि वो सम्मान की मौत मरे, लेकिन उसकी इच्छा पूरी नहीं की गई.
30 दिसंबर 2006 को उसे फांसी की सजा दे दी गई. सद्दाम की फांसी के बाद उसको पैतृक गांव में दफन कर दिया गया.
इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) दुनिया में सबसे लोकप्रिय टी20 क्रिकेट लीग में से एक है,…
दुनिया मे सबसे ताकतवर चीज है हमारी सोच ! हम अपनी लाइफ में जैसा सोचते…
सूर्य ग्रहण 2020- सूर्य ग्रहण कब है, सूर्य ग्रहण कब लगेगा, आज सूर्य ग्रहण कितने…
कोरोना महामारी के कारण देश के देश बर्बाद हो रही हैं, इंडस्ट्रीज ठप पड़ी हुई…
दुनियाभर के 200 देश आज कोरोना संकट से जूंझ रहे हैं, इस बिमारी का असर…
वैसे तो गांधी परिवार पूरे विश्व मे प्रसिद्ध है और उस परिवार के हर सदस्य…