बीवियाँ कभी बुरी तो कभी बेहद अच्छी लगती है.
कभी बिना बात के झगड़ा तो कभी अनावश्यक प्यार लुटा देती है. कभी कभी फ़िज़ूल की चीजो पर खर्च करती है तो कभी मुसीबत पड़ने पर घर खर्च से बचाकर छुपाई हुई रकम निस्वार्थ निसार कर देती है.
सही मायने में बीवियों की बात ही कुछ और होती है. बीवियों पर हम कोई लेख लिखे तो इतने पेज भर जाएंगे कि पढ़ना मुश्किल हो जाएगा पर शब्द खत्म नहीं होंगे.
आप सोच रहे होंगे कि आज हमने अचानक से बीवी चालीसा क्यों शुरू कर दिया है.
दरअसल बात ही कुछ ऐसी हो गई कि बीवियों की तारीफ़ करने को जी चाहता है.
हमेशा की तरह ये कहानी भी एक सच्ची घटना पर आधारित है.
मेरे मित्र है ऋषिकेश गिरी. वे आजकल अपनी बीवी की तारीफ़ करते नहीं थक रहे. कल रात मुझे मिले और अपने नए व्यसाय के बारे में मुझसे कुछ सजेशन लेने लगे. मैंने उनसे कहाँ ‘’क्या बात है ऋषी.. इतने रुपए तुम्हारे पास कहा से आगए. कल तक तो तुम एक एक पैसे के लिए रो रहे थे. अचानक इतनी रकम कहा से तुम्हारे पास आ गई…’’
ऋषी ने पहले तो मुझे टालने की कोशिश की, लेकिन मेरे कई बार पूछने पर उसने जवाब दिया ‘’यार बीवी ने अपने गहने बेच दिए…’’
उसकी बात सुन मै कुछ सेकेण्ड तक झल्लाया रहा और फिर उसकी आँखों में मैंने आंसू देखे…
वो रो रहा था.
बीवी द्वारा गहने बेचने की बात मुझे अजीब लगी पर वो कर भी क्या सकता था. ऋषी काफी महीनो से घर बैठा था. काम-धाम सब ठप्प पडा था. मोबाइल की दूकान खोलने के लिए डेढ लाख की ज़रूरत थी, जो उसे कोई नहीं दे रहा था.
ऐसे में जब कोई काम ना आया तो बीवी ने अपना फ़र्ज़ निभाते हुए अपने गहने को बेच दिया और अपने पति की मदद की.
वैसे आप जानते है ना ! पत्नियां अपने गहनों को अपनी जान से ज्यादा मानती है.
खैर.. आपने बीवियों की कुरबानी कई बार सूनी होगी लेकिन क्या कभी ये सोचा है कि जब हम पत्नियों की बेज्जती करते है तो उन पर क्या गुज़रती होगी. वो बेचारी हमें सुनती है, हमें सहती है, और फिर भी हम ही पर मरती है.
बीवियों की कुरबानी – बीवियों के इस जस्बे को सलाम करने का दिल चाहता है.
बीवियाँ घर नहीं होती तो कुछ दीन अच्छा लगता है पर बाद में ज़िन्दगी अधूरी लगती है.
क्या आपने कभी ऐसा कुछ महसूस किया है ?
हमें जवाब ज़रूर दीजिएगा…