सचिन तेंदुलकर…
पूरी दुनिया में इनके करोड़ों प्रशंसक है. भारत में तो सचिन को क्रिकेट के भगवान का दर्जा मिला हुआ है.
सचिन एक तरह से क्रिकेट की पहचान है. अपने पूरे कैरियर में सचिन ने जिस प्रकार से खेला है वैसा खेलने वाला शायद ही कोई होगा. एक के बाद एक रिकॉर्ड तोड़ते हुए सचिन ने अपना नाम विश्व क्रिकेट की दुनिया में सबसे ऊपर लिखवाया है.
तीन साल की उम्र में ही सचिन को क्रिकेट के साथ लगाव हो गया था और जैसे जैसे वक्त गुजरता गया सचिन का क्रिकेट के प्रति जूनून भी बढ़ता गया.
अगर क्रिकेट के सर्वकालिक महान खिलाडियों की बात की जाए तो उनमें भी सचिन का एक अतिविशिष्ट स्थान है. दुनिया में शायद ही कोई ऐसा क्रिकेट खिलाडी होगा जो सचिन का सम्मान और तारीफ नहीं करता होगा.
अब ज़रा सोचिये क्या होता अगर सचिन होते ही नहीं तो?
भारत ही नहीं दुनिया को क्रिकेट के एक महान खिलाडी से वंचित होना पड़ता. ना जाने कितने रिकॉर्ड बनने से रह जाते.
आप कहेंगे क्या मजाक कर रहे हो अगर सचिन नहीं होते तो… लेकिन अगर सचिन की माने तो ये बात सही है.
कुछ दिन पहले ही सचिन ने अपने बचपन का एक राज खोलते हुए कहा कि किस प्रकार 11 साल की उम्र में वो मौत से बाल बाल बचे थे.
अगर उस दिन कुछ अनहोनी हो जाती तो सचिन जीवित नहीं रहते. सचिन ने ये भी बताया कि उस हादसे की वजह खुद उनकी जल्दबाजी और लापरवाही ही थी लेकिन इश्वर की कृपा से वो बच गए. साथ ही साथ उन्होंने ये भी कहा जो गलती उन्होंने बचपन में की थी आज भी वो गलती बहुत से लोग करते है और उनमे से कुछ असमय ही अपनी जान से हाथ धो बैठते है.
अपने बचपन की इस घटना के बारे में बताते हुए सचिने ने कहा कि वो जब क्रिकेट का अभ्यास करने के लिए स्टेडियम जाते थे तो लोकल ट्रेन से सफर करते थे. 11 साल की उम्र में ही उन्होंने भारी भरकम क्रिकेट किट के साथ लोकल ट्रेन में सफर करना शुरू कर दिया था.
एक बार वो विले परले अपने साथियों के साथ गए, पहले उन्होंने अभ्यास किया फिर लंच और बाद में सब फिल्म देखने गए.
घर जाने के समय जल्दी पहुँचने के चक्कर में उन्होंने पुल की जगह पटरी पार कर प्लेटफ़ॉर्म जाने का फैसला किया. जब वो पटरियां पार कर रहे थे तो सामने से ट्रेन आने लगी डर कर सचिन अपने किट के साथ ज़मीन पर झुक गए.
सचिन ने कहा कि वो घटना याद करके आज भी उनके रौंगटे खड़े हो जाते है. उस घटना के बाद उन्होंने कभी भी पटरी पार करने की भूल नहीं की.
सचिन ने कहा कि अगर उस दिन वो ट्रेन दूसरी पटरी की जगह उस पटरी पर आती जिसके पास वो और उनके दोस्त खड़े थे तो शायद आज सचिन अपनी बात कहने के लिए जिंदा नहीं होते.
सचिन ने लोगों से अपील की, कि पांच मिनिट की देरी हो जाए तो चलता है जल्दी के चक्कर में जान नहीं जानी चाहिए.
देखा आपने एक छोटी सी भूल के चक्कर में हम सचिन जैसे महान खिलाडी को खो देते. सचिन तो बाख गए लेकिन इस तरह जल्दबाजी के चक्कर में पटरियां पार करते समय हर रोज़ कोई ना कोई तेज़ रफ़्तार ट्रेन की चपेट में आकर या तो घायल हो जाता है या फिर अपनी जान गँवा देता है.
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