प्रोफेसर वशिष्ठ मानिकोठ – वैसे तो विराट कोहली, रोहित शर्मा व अन्य युवा खिलाड़ियों की फैन फॉलोविंग गजब की है।
मगर जिन्होंने क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर को खेलते हुए देखा है, उन्हें क्रिकेट सचिन के बिना कुछ अधूरा सा लगता है। अपने क्रिकेट करियर के दौरान सचिन ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं, हर दौर में उनके सच्चे फैंस उनके लिए दुआ करते रहे हैं।
यदि मास्टर ब्लास्टर के सबसे बड़े फैन की बात की जाए तो मुजफ्फर नगर, बिहार के सुधीर चौधरी का ही नाम याद आता है। हां वही व्यक्ति जो मैच के दौरान तिरंगे में रंग कर आता है और जिसके सीने पर तेंदुलकर लिखा होता है। सुधीर, तेंदुलकर के सबसे बड़े फैन हैं और सचिन उन्हें जानते भी हैं।
मगर सचिन के ऐसे कई जबरा फैंस हैं, जिनके बारे में बेहद कम लोग ही जानते होंगे। सचिन का ऐसा ही एक फैन केरल में बतौर प्रोफेसर सुधीर चौधरी कार्यरत है। जिसने सचिन की दीवानगी में खास लाइब्रेरी बना रखी है।
आइए उनके बारे में जानते हैं।
१ – सचिन तेंदुलकर के एक और जबरा फैन
प्रोफेसर वशिष्ठ मानिकोठ, केरल के कोझिकोड शहर स्थित ‘मालाबार क्रिश्चियन कॉलेज’ में हिस्ट्री डिपार्टमेंट के हेड हैं। प्रोफेसर साहब सचिन के बड़े फैन हैं, इसलिए उन्होंने सचिन पर लिखी किताबों की खास लाइब्रेरी बना रखी है।
२ – 11 भाषाओं में किताबें
एएनआई से इंटरव्यू में प्रोफेसर वशिष्ठ मानिकोठ ने बताया था, “यहां मौजूद सभी किताबें सचिन पर भारत की विभिन्न भाषाओं में लिखी गई हैं। प्रोफेसर साहब की लाइब्रेरी में हिंदी, मराठी, मलयालम, तमिल, तेलुगु, कन्नड़ व गुजराती जैसी 11 भाषाओं में लिखी गई 60 किताबें हैं।
३ – हो रही है लोकप्रिय
प्रोफेसर वशिष्ठ मानिकोठ साहब अपनी इस लाइब्रेरी को लेकर बड़े फेमस हो गए हैं। इस लाइब्रेरी को देखने लोग उनके पास आते हैं। खासतौर से युवाओं को सचिन की इस खास लाइब्रेरी में बड़ी दिलचस्पी है।
बता दें कि ‘प्लेइंग इट माय वे’ सचिन की आत्मकथा है। इसके अलावा लिटिल मास्टर के जीवन पर ‘द ए टू ज़ेड ऑफ सचिन तेंदुलकर’, ‘सचिन बोर्न टू बैट’, ‘सचिन ए हंड्रेड हंड्रेड्स नाउ’ जैसी किताबें लिखी गई हैं और इनका अनुवाद किया गया है।
४ – खबरों में होने की एक और वजह
यह तो हम सभी जानते हैं कि इन दिनों फुटबॉल का महासंग्राम ‘फीफा वर्ल्ड कप’ चल रहा है। दरअसल प्रोफेसर वशिष्ठ मानिकोठ फुटबॉल के भी डाई-हार्ड फैन हैं। वो सचिन की लाइब्रेरी के साथ ही फुटबॉल प्रेम को लेकर भी चर्चा का विषय बने हुए हैं। उन्होंने फुटबॉल पर खुद किताब लिखी है और इसे लेकर वो खबरों में बने हुए हैं।
५ – 2001 की बात है
दरअसल प्रोफेसर साहब ने कुछ साल पहले फुटबॉल पर ‘लास्ट पेनल्टी किक’ नाम से किताब लिखी थी, जिसमें इस खेल से जुड़ी 11 कविताएं थी। इन कविताओं में से ‘ए गेम सो कॉल्ड फुटबॉल’ फीफा की आधिकारिक मैगजीन के दिसंबर 2001 के एडिशन में शामिल की गई थी।
६ – इस बार क्या खास?
प्रोफेसर वशिष्ठ मानिकोठ का मानना है कि हिंदी व अन्य रीजनल भाषाओं के दम पर ही फुटबॉल का खेल भारत में फेमस हो सकता है। इसके लिए वो 20 साल से प्रयास कर रहे हैं। इस बार उन्होंने यू ट्यूब का भी सहारा लिया है। यूट्यूब में डाले गए इस वीडियो में उन्होंने अपनी एक कविता को संगीतबद्ध किया है।
प्रोफेसर वशिष्ठ मानिकोठ बड़े ही लाजवाब हैं जो दोनों ही खेलों से इतनी ज्यादा मोहब्बत करते हैं। उनकी मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर के प्रति दीवानगी भी काबिल-ए-तारीफ है।
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