कोच का सबक – सचिन तेंदुलकर एक ऐसा नाम है जिसे सुनने मात्र से ही क्रिकेटप्रेमियों की बाछें खिल जाती हैं।
सदी के महानतम क्रिकेटर तेंदुलकर ने इतने रिकार्ड्स कायम किए हैं, जिनकी ऊँगली पर गिनती भी नहीं की जा सकती। भले ही मास्टर ब्लास्टर अब क्रिकेट से सन्यास ले चुके हैं। लेकिन विराट कोहली, महेंद्र सिंह धोनी और रोहित शर्मा जैसे कई प्रतिभाशाली भारतीय क्रिकेटर उन्हें खेलता देखकर ही बड़े हुए हैं। वो आज भी युवा खिलाड़ियों को प्रेरित करते हैं।
जिस तरह सचिन की सीख ने खिलाड़ियों की जिंदगी बदली है। उसी तरह क्रिकेट के भगवान की जिंदगी को नया मोड़ देने में उनके कोच रमाकांत आचरेकर का हाथ है। सचिन ने महज 16 साल की उम्र में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण कर दुनिया को चौंका दिया था और इस चमत्कार के पीछे उनके कोच रमाकांत आचरेकर ने अहम भूमिका निभाई थी।
कोच का सबक –
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मास्टर ब्लास्टर स्कूल के दिनों में अपने बड़े भाई अजीत तेंदुलकर के साथ क्रिकेट खेला करते थे और वो ही उन्हें शिवाजी पार्क में रमाकांत आचरेकर के पास कोचिंग के लिए ले गए थे। कुछ ही समय में आचरेकर ने सचिन की प्रतिभा की परख कर ली थी।
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रमाकांत आचेरकर, सचिन को किस तरह कोच करते थे, इसे लेकर कई किस्से मशहूर हैं। लेकिन एक ऐसा किस्सा भी है जिसने तेंदुलकर की जिंदगी हमेशा के लिए बदल दी। सचिन ने एक बार खुद ट्वीट कर फैंस के साथ यह किस्सा शेयर किया था।
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कुछ ऐसा है यह मशहूर किस्सा – सचिन बचपन में किसी आम बच्चे की तरह ही थे और उन्होंने महान बनने का कोई सपना नहीं देखा था। लेकिन आचरेकर उनकी ट्रेनिंग को लेकर गंभीर थे। सचिन जूनियर टीम के लिए खेला करते थे और सीनियर टीम को चीयर करना उन्हें बहुत अच्छा लगता था।
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एक बार सीनियर टीम वानखेड़े स्टेडियम में हैरिस शील्ड का फाइनल खेल रही थी। उसी दिन आचरेकर ने उनके लिए एक प्रैक्टिस मैच की व्यवस्था की थी। उन्होंने जूनियर सचिन से कहा था कि मैंने कप्तान से बात की है। तुम्हें जाकर चौथे नंबर पर खेलना है। फील्डिंग वगैरह करने की कोई जरूरत नहीं है।
मगर लिटिल मास्टर तो ये सब छोड़कर वानखेड़े स्टेडियम पहुंच गए और सीनियर टीम के लिए तालियां बजाते हुए मैच के मजे लेने लगे।
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मैच के बाद सचिन को सामने कोच आचरेकर नजर आए तो तेंदुलकर ने जाकर उन्हें नमस्ते किया। कोच ने पूछा कि तुमने आज कितने रन्स बनाए तो सचिन ने कहा कि मैं तो सीनियर टीम को सपोर्ट कर रहा था।
आचरेकर सचिन की इस हरकत से नाराज हो गए। उन्होंने सबके सामने सचिन को डांट लगाना शुरू कर दिया। उन्होंने सचिन से कहा, “तुम्हें किसी के लिए तालियां बजाने की कोई जरूरत नहीं है। तुम अपने क्रिकेट पर ध्यान दो और कुछ ऐसा कर दिखाओ कि दूसरे तुम्हारे लिए तालियां बजाएं।”
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सचिन के अनुसार वो उनकी जिंदगी की सबसे बड़ी सीख थी, कोच का सबक था और उसके बाद उन्होंने कोई भी मैच मिस नहीं किया। वो आज जो कुछ भी हैं, उसी सीख की वजह से हैं।
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ये था कोच का सबक – बता दें कि सचिन तेंदुलकर के कोच रमाकांत आचेरकर अब 86 वर्ष के हो चुके हैं। उन्होंने मुंबई के शिवाजी पार्क में कामथ मेमोरियल क्रिकेट क्लब की नींव रखी थी। उन्हें भारत सरकार द्वारा द्रोणाचार्य पुरस्कार व पद्मश्री से भी सम्मानित किया जा चुका है।
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