आबू धाबी में एक शख्स ऐसा है जो भारतीय को मरने से बचाने में लगा हुआ है.
एस पी सिंह ओबेराय नाम का एक शख्स इन दिनों फांसी की सजा पाने वाले 10 भारतीय युवकों की जिंदगी बचाने के लिए संघर्ष कर रहा है.
एस पी सिंह ओबेराय अब तक 84 लोगों को मौत के मुंह से बचाने में कामयाब रहे हैं. इनमें भारतीय ही नहीं बल्कि पाकिस्तानी, बांग्लादेशी व नेपाली भी शामिल है.
पंजाब के नंगल इलाके में जन्मे एस पी सिंह ओबेराय पहले मोटर मैकेनिक का काम करते थे. वे 1970 के दशक में दुबई गए और आज वहां उनकी गिनती बड़े व्यापारियों में होती है.
एस पी सिंह ओबेराय ने अपने इस नेक काम की शुरूआत पंजाब के 17 युवकों को शारजाह में फांसी के फंदे पर लटकने से बचाकर की थी. उन युवको के हाथों से एक झगड़े में किसी पाकिस्तानी नागरिक की हत्या हो गई थी, जिसमें उन्हें मौत की सजा हुई थी.
ओबेराय को जब ये मालूम हुआ तो पंजाब से आए ये सभी लोग बेहद गरीब परिवार से हैं तो उन्होंने शारजाह में इन लोगों की मौत की सजा माफ करने के लिए अपील दायर की.
आप आए दिन खबर सुनते और पढ़ते होंगे कि अरब देशों में इतने भारतीय जेल में इसलिए बंद है कि उनके पास अपना बचाव करने के लिए पैसे ही नहीं है. ऐसे ही लोगों के लिए एस पी सिंह ओबेराय अरब देशों में जेल से निकालने का काम करते हैं.
बहराल, जिस पाकिस्तानी युवक की मौत हुई थी उसके परिवार को अपने खर्च पर दुबई बुलाया. वह परिवार भी काफी गरीब था. बड़ी मुश्किल से उसका परिवार उसको माफ करने के लिए तैयार हुआ. चूंकि दोषी युवकों के परिवार गरीब थे इसलिए वे बड़ी मुश्किल से 50-60 हजार रुपए ही दे पाए. उस समय एस पी सिंह ओबेराय ने बाकी पैसे का खुद इंतजाम किया व 24 लाख रुपए देकर इन युवकों की जान बचाई.
गौरतलब है कि संयुक्त अरब अमीरात समेत तमाम इस्लामी देशों का कानून शरीया (इस्लामी कानून) पर आधारित है. जहां खून का बदला खून की प्रथा के साथ एक व्यवस्था और भी है जिसे दिया या ब्लड मनी कहा जाता है. इसके तहत अगर मृतक के परिवार के लोग मान जाए तो उन्हें दिया (मौत का मुआवजा) अदा करके दोषी की जिंदगी बचायी जा सकती है.
एस पी सिंह ओबेराय इन दिनों जिन भारतीय युवको को बचाने में लगे हुए उनका भी कुछ पाकिस्तानी युवकों से झगड़ा हो गया था. आपसी मारपीट में पेशावर के निवासी मोहम्मद फरजान की मौत हो गई. अबू धाबी की पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया. वहां के कानून काफी सख्त है. अक्टूबर में इन सभी को दोषी करार देते हुए जज ने उन्हें फांसी की सजा सुना दी.
लिहाजा, एस पी सिंह ओबेराय इन दिनों बल्ड मनी देकर किसी तरह उन युवकों की जान बचाने पर जुटे हुए हैं.
लेकिन इसके साथ ही वे मदद करने के पहले यह सुनिश्चित कर लेते हैं कि जिस व्यक्ति की वह मदद करने जा रहे हैं कही वह बलात्कार, नशीली दवाओं के कारोबार या सीधे हत्या आदि का दोषी तो नहीं है.
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