रुवेदा सलाम – भारत की महिलाएं देश के विकास की वो कड़ी है जिसके बिना देश आगे नहीं बढ़ सकता ।
अपनी बंदिशों की दीवारों को तोड़ते हुए आज हमारे देश की महिलाएं पूरे विश्व को अपने कदमों पर झुका चुकी है । हाल ही में ऐसी ही महिलाओं को राष्ट्रपति दारा सम्मानित किया गया जो बदिंशो कुरितियों और सभी तरह की मुश्किलों की दीवारों को तोड़कर अपने राज्य को आगे लेकर आई है । इसमें एक नाम ऐसा भी थी जिसने अपना पूरा जीवन आतंक के साए में बिताया । लेकिन कभी उम्मीद नहीं छोड़ी । हम बात कर रहे कश्मीर की रहने वाली डॉक्टर रुवेदा सलाम की जिन्हें कश्मीर की पहली आईपीएस ऑफिसर होने के लिए सम्मानित किया गया ।
रुवेदा सलाम के अनुसार जब वो दूसरे राज्यों में जाती है तब उन्हें एहसास होता कि कश्मीर सियासत और आंतक के कारण वक्त की रफ्तार से 20 साल पीछे हैं ।
रुवेदा सलाम उन चंद लोगों में से हैं जिन्हें आगे बढ़ने के लिए सिर्फ उम्मीद के तिनके की जरुरत होती हैं । क्योंकि जिस हाल में रुवेदा का जीवन कश्मीर में बिता ।
उस हाल में शायद ही कोई इस मुकाम तक पहुंच पाता हैं । रुवेदा के अनुसार जो चीजें दूसरे राज्य में बड़ी आसानी से मिल जाती हैं । कश्मीर में वहीं चीजें मिलना बहुत मुश्किल हैं । रुवेदा अपने स्कूलों के बारे में याद करते हुए बताती हैं कि उनकी स्कूलिंग मिलिंटेसी के दौरान हुई थी , कभी बिजली कट जाती थी , कभी पानी नहीं आता था ,कभी फायरिंग की वजह से स्कूल बंद हो जाते थे तो कभी बर्फ पड़ने की वजह से स्कूल बंद रहते थे । कश्मीर इंटरनेट मिलना भी बहुत बड़ी बात होती हैं । रुवेदा के अनुसार उनका पूरा बचपन खून खराबे में बिता । 1990 के दशक में तो और भी बुरा हाल उनका स्कूल उस वक्त एक साल तक बंद रहा था ।
आपको बता दें रुवेदा पेशे से एक डॉक्टर भी है । और जहां आमतौर पर स्टूडेंस को मेडिकल की पढ़ाई पूरी करने में चार साल का वक्त लगता हैं । रुवेदा ने कश्मीर में अपनी मेडिकल की पढाई कश्मीर के अशांत महौल के कारण छह साल में पूरी की थी । रुवेदा इस वक्त तमिलनाडू में तैनात है । रुवेदा उनके काम के लिए कई और सम्मानो से सम्मानित किया जा चुका है । रुवेदा की लॉ एंड ऑर्डर को बिगड़ने से रोना प्राथमिकता हैं । रुवेदा के अनुसार कश्मीर की जो भी हालात उसका सबसे बड़ा कारण यहां की राजनीति है जिसने कश्मीर को बाकी राज्यों से पीछे कर दिया हैं ।
वैसे आपको बता दें राष्ट्रपति भवन आयोजित फर्स्ट लेडीज समारोह में देश की 112 महिलाओं को सम्मानित किया गया था जिसमें रुवेदा सलाम के अलावा एक ओर कश़्मीरी महिला आयशा आयज को सम्मानित किया गया । आयशा आयज को कश्मीर की पहली महिला फाइटर पायलट होने के लिए सम्मानित किया गया । हालाकिं आयशा कश्मीर में बहुत कम रही है । लेकिन उनके अनुसार भी कश्मीर में सपने पूरा करना बहुत मुश्किल हैं ।
हालाकिं इन महिलाओं के जज्बे ने ये जरुर साबित कर दिया कि अगर हिम्मत और लगन हो तो आतंक के साये में भी रक्षक पैदा हो सकते हैं ।
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