राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के कार्यालय से एक ऐसा फरमान जारी हुआ है जिसके बाद दुनिया में हलचले एकाएक बढ़ गई हैं.
रूस ने अपने सभी अधिकारियों को आदेश जारी कर कहा है कि वे विदेशों में रह रहे अपने करीबियों को तुरंत अपने देश वापस बुला लें.
रूस ने पोलैंड और लिथुवानिया के साथ लगी सीमा पर न्यूक्लियर क्षमता वाली मिसाइलों की तैनाती कर दी है.
हालांकि रूस के इस कदम को अंतरराष्ट्रीय समझौतों को तोड़ने वाला बताया जा रहा है. लेकिन सीरिया संकट को लेकर इस बार रूस किसी समझौते के मूड में नहीं दिख रहा.
एक रशियन साइट ने दावा किया है कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपने फ्रांस के दौरे को अचानक रद्द करने के बाद यह कदम उठाया है. जिसके बाद लगने लगा है कि पुतिन कोई बड़ा कदम उठाने वाले हैं.
हाल में फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने कहा था कि रूस सीरिया में युद्ध अपराधों में लिप्त है. जिसके बाद सीरिया संकट लेकर रूस की आलोचना होने लगी थी. राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पेरिस जाने वाले थे. लेकिन फ्रांस्वा ओलांद का बयान आने के बाद उन्होंने अपना दौरा रद्द कर दिया. रूस का दावा है कि उसने सीरिया को लेकर अमेरिका के साथ तनाव बढ़ने के बीच उसके दो जंगी जहाज भूमध्य सागर में तैनात कर दिए हैं. यही नहीं उसने अपनी एस 300 हवाई रक्षा मिसाइल प्रणाली को भी सीरिया के टारटस स्थित नौसेना केंद्र में भेजा है.
कुछ दिन पहले ही राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के मंत्री ने ऐलान किया था कि उन्होंने मास्को के 12 लाख लोगों को सुरक्षित करने के लिए न्यूक्लियर बंकर बना लिए हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रूस की सेना ने जापान के उत्तर में तैनात अपनी सबमरीन से न्यूक्लियर वॉरहेड ढोने की क्षमता वाले एक रॉकेट का परीक्षण किया है.
लेकिन जिस प्रकार रूस ने अपने कर्मचारियों को आदेश जारी किया है, उसके पीछे की असली वजह अभी तक साफ नहीं है.
इसकी एक वजह अपने बच्चों को पश्चिम के प्रभाव से बचाना भी हो सकता है.
हालांकि रशियन पॉलिटिकल एनालिस्ट स्तानिसलव बेलकोवस्की का कहना है कि यह ऑर्डर बड़े युद्ध के लिए देश के एलीट क्लास को तैयार करने के उपायों का हिस्सा है.
गौरतलब है कि वर्ष 2011 में हुई एक घटना ने सीरिया में गृह युद्व का रूप ले लिया था. कुछ बच्चों की गिरफ्तारी से शुरू हुआ ये संघर्ष दूसरे विश्व युद्ध के बाद दुनिया के लिए सबसे बड़ा मानवीय संकट बन चुका है.
सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद के खिलाफ हिंसक प्रदर्शनों में 3 लाख लोग जान गंवा चुके हैं. करीब 1 करोड़ लोग बेघर हुए हैं. यूएस सीरिया में विद्रोहियों का समर्थन कर रहा है. जबकि रूस यहां असद सरकार को मदद कर रहा है और उसे हथियार दे रहा है.
सीरिया को लेकर जिस प्रकार दुनिया की महाशक्तियों की बीच तनातनी बढ़ रही हैं वह कहीं दुनिया को युद्ध की ओर न घकेल दे.
पूर्व सोवियत लीडर मिखाइल गोर्बाच्येव ने भी कहा है कि रूस और अमेरिका के बीच तनाव बढ़ने से दुनिया एक खतरनाक मोड़ पर पहुंच गई है.
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