रुपया – भारतीय अर्थव्यवस्था की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही है, पिछले कई महीने से रुपए के मूल्य मे लगातार गिरावट दर्ज की जा रही और अब तो ये सबसे निचले स्तर पर जा पहुंचा है.
अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत 70 रुपये तक पहुंच गई है. इस साल अभी तक रुपये की कीमत में 10 फीसदी तक की गिरावट आ चुकी है.
रुपए की लगातार गिरती कीमत अर्थव्यवस्था के लिए खतरे की घंटे हैं, मगर इस पर किसी का वश भी नहीं चलता, फिलहाल रुपए में आई गिरावट का कारण विशेषज्ञ तुर्की संकट को मान रहे हैं. इसकी वजह से भारत ही नहीं बाकी देशों की करेंसी में गिरावट देखने को मिल रही है. माना जा रहा है कि रुपया 72 प्रति डॉलर के लेवल को छू सकता है.
क्या है तुर्की संकट?
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को तुर्की से स्टील एवं एल्युमिनियम के इंपोर्ट पर शुल्क दोगुना करने की घोषणा की. ट्रंप ने यह कदम ऐसे समय में उठाया है जब तुर्की पहले से ही आर्थिक संकट से गुजर रहा है और अमेरिका के साथ कूटनीतिक विवादों में उलझा हुआ है. इससे वहां की करेंसी में गिरावट गहरा गई और इसका असर पूरी दुनिया में दिखने लगा है.
रुपये की कीमत में गिरावट का असर
रुपये की कीमत अगर इसी तरह नीचे गिरती गई तो देश का व्यापार घाटा और करेंट अकाउंट घाटा (सीएडी) बढ़ेगा. विदेशी मुद्राओं के जरिए विदेशों से किया जाने वाला लेन-देन यानी करेंसी इनफ्लो-आउटफ्लो का अंतर भी बढ़ेगा. भारत लगभग 70 फीसदी तेल का आयात विदेशों से करता हैं और ऐसे में रुपये के मुकाबले बेहद मंहगे डॉलर में भुगतान करना भारतीय अर्थव्यवस्था पर असर डालेगी. विदेशों में रहने वाले भारतीय छात्रों पर भी इसका असर होगा. जो छात्र भारत से बाहर रह रहे हैं उन्हें करेंसी एक्सचेंज करनी पड़ती है और गिरती रुपये की कीमत से उनके लिए विदेश में रहना बहुत महंगा हो जाएगा.
कच्चे तेल की बढ़ती कीमते और रुपए के कमजोर होने से भारत पर दोहरी मार पड़ रही है, क्योंकि भारत कच्चे तेल को बड़ी मात्रा में आयात करता है, कच्चे तेल की बढ़ती कीमत के कारण भारत को मोटी रकम का भुगतान डॉलर में करना होगा. कच्चे तेल की कीमत साल 2014 के बाद के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई है. इस वक्त वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमत 75 डॉलर प्रति बैरल है.
आरबीआई हुआ एक्टिव
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने अमेरिकी डॉलर के मुकाबले गिरता रुपया संभालने के लिए कोशिशें शुरु कर दी हैं. आरबीआई डॉलर में निवेश बढ़ाने के लिए एनआरआई लोगों को बॉन्ड जारी कर रही है. साथ ही यह भी माना जा रहा है कि आरबीआई ने एक्सचेंज ट्रेडेड फ्यूचर मार्केट के जरिए 800 मिलियन डॉलर जुटा लिए हैं.
बहरहाल, वैश्विक अस्थिरता के चलते फिलहाल इस बात की संभावना कम ही नज़र आ रही है कि रुपया जल्द सुधरेगा.
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