मंगल अपनी राशि का होकर या मूल त्रिकोण अथवा उच्च का होकर केंद्र में हो तो रुचक योग होता हैं।
इस रुचक योग मे जन्म लेने वाला व्यक्ति शारीरिक रुप से बलवान है।
अपने कार्यो से वह संसार में प्रसिद्ध होता है तथा स्वयं के अतिरिक्त देश का नाम भी उंचा करता हैं। वह स्वयं राजा होता हैं या पूर्ण जीवन राजा की तरह व्यय करता हैं। अपनी संस्कृति के प्रति वह आस्थावान होता हैं तथा देश की उन्नति के लिए प्रयास करता हैं। वह भावना से युक्त होता हैं एवं उसके साथ कई लोग एक साथ रहते हैं। उसके मित्र सच्चे होते हैं एवं चरित्र उज्जवल होता हैं।
वह कभी भी धन का अभाव महसूस नही करता एवं प्रलोभन उसे पिघला नही सकते। वह उच्च अधिकारी बनने की योग्यता रखता हैं तथा यदि वह राजनीति में हो तो मंत्रीपद दिलाता है या मुख्यमंत्री बनने तक का माद्द रखता हैं।
यह यहां ध्यान रखने योग्य है कि मंगल 10 से 25 डीग्री अंश के मध्य होना चाहिए किंतु यदि 10 से कम एवं पच्चीस से ज्यादा अंश होने पर रुचक योग होने पर भी पूर्ण फल प्राप्त नही होता।
यह रुचक योग भी तभी कार्य करता हैं, जब मंगल पूर्ण बलिष्ठ होकर कार्य करें।
कभी कभी यह देखने में आता है कि मंगल उच्च का होने के बावजूद रुचक योग फल नही दे पाता ।
इसका कारण मंगल का अष्टम् या षष्ठम होना होता है। इसके अलावा मंगल यदि भाग्य स्थान का स्वामी होकर केंद में उच्च का हो जाएं तो जातक निश्चित कोई बहुत बड़ा राजनीतिक पद प्राप्त करता है।
इस रुचक योग में जातक की कुंडली में यदि मंगल उच्च का होकर नवांश में आ जाए तो उसको बड़े सरकारी लाभों को प्राप्त करता है।
गुरु की ये युक्त हो या नवांश में गुरु से युक्त या दृष्टि हो जाएं तो विदेश मे सफलता अर्जीत करता है।