विशेष

आखिर क्यों हुई आरएसएस की स्थापना । क्या मकसद हुआ कभी पूरा ?

राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ – भारत में कई धर्म मिलजुलकर साथ रहते है। अब अलग अलग सभ्यता के लोग होंगे तो विचारों में विविधता का होना लाजमीन हैं ।

एक ऐसे ही विचार का रुप हैं आरएसएस यानि राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ, जिसकी स्थापना डाॅ केशव बलिराम हेडगेवार ने 27 सितम्बर 1925 को विजयदशमी के दिन नागपुर में की थी। मौजूदा वक्त में आरएसएस के परिसंचालक मोहन भागवत है।

राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ का जाल पूरे भारत में फैला हुआ है । जिस कारण ये विश्व का सबसे बड़ा संघ है।

आरएसएस अपने शरुआती वक्त से ही संघ के विचारों  और मुद्दों को लेकर विवादो से घिरे रहा हैं। आरएसएस का मुख्य उद्देश्य भारत को हिंदुत्व देश घोषित करना है। जिस वजह से कई राजनीतिक पार्टियां इसे कट्टरपंथी हिंदू संघ के रुप में देखती है। मनु के विचारों पर चलने वाली आरएसएस सबसे पहले तब विवादो में आई जब उसने भारत के तिरंगे झण्डे को अपनाने  से इंकार कर दिया ।

आरएसएस ने 14 अगस्त 1947 को आजादी से एक दिन पहले अपने जारी किए मुखपत्र में लिखा था -” भारत के झण्डे में तीन रंग का होना अशुभ हैं , ये भारत के लिए नुकसान देह हैं । जिसे हिंदू कभी स्वीकार नहीं करेंगे। ” आरएसएस ने अपने संघ के झण्डे को भगवा रंग दिया। जो हिंदुत्व का प्रतीक माना जाता है।

इसके बाद आरएसएस के साथ महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे का नाम भी जोड़ा गया है। हालाँकि इस पर कभी आरएसएस ने खुलकर नहीं कहा ।

आरएसएस राम मंदिर, गौहत्या, काॅमन सिविल कोड और धर्मातरंण के मुद्दों को लेकर भी हमेशा सक्रिय रही है।और इन मुद्दों पर विवादित बयान देते रहें है। जिस वजह से आरएसएस पर कई बार दंगे करवाने के आरोप भी लगे है। 2002 के गुजरात दंगो में भी इस संघ का हाथ माना जाता है ।यहाँ तक की मौजूदा प्रधानमंत्री मोदी पर भी 2002 के दंगो का दाग हैं जिसे वो आज तक नही धो पाएं है।

हिंदुत्व का प्रचार करने वाले इस संघ ने अपने लक्ष्य को पाने के लिए राजनीति का रुख तो आजादी से पहले ही कर लिया था।लेकिन ये सक्रिय आपतकाल की घोषणा के दौरान। लेकिन आपतकाल की घोषणा के दौरान इसकी राजनीतिक पार्टी जनसंघ पर और आरएसएस पर प्रतिबंध लगा दिया गया। लेकिन जल्द आपतकाल हटा और जनसंघ जनता पार्टी मे मिला और एक मिली जुली सरकार बनी । जिसके प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई को बनाया गया। धीरे धीरे आरएसएस राजनीति मे ओर सक्रिय हुई ओर बीजेपी के रुप में सामने आई।

भाजपा मे मौजूद सभी बड़े नेता पीएम नरेंद्र मोदी हो या फिर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ  या फिर सुभ्रमण्यम स्वामी  सभी आरएसएस का हिस्सा रह चुके हैं ।

लेकिन इतने वर्ष बीतने के बाद भी राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ अपना लक्ष्य नही पा पाया । जिसका मुख्य कारण था संविधान के साथ आरएसएस के विचारों का मेल न खाना और पैतृक पार्टी बीजेपी का दो मुंह होना । बीजेपी एक राजनीतिक पार्टी होने के कारण संघ के विचारों को पूरी तरह नहीं अपना सकती ।हालाँकि भाजपा के सत्ता में आने के बाद से भाजपा ने न सही लेकिन आरएसएस ने अपनी विचारधारओ की धार तेज कर दी है ।

Preeti Rajput

Share
Published by
Preeti Rajput

Recent Posts

इंडियन प्रीमियर लीग 2023 में आरसीबी के जीतने की संभावनाएं

इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) दुनिया में सबसे लोकप्रिय टी20 क्रिकेट लीग में से एक है,…

2 months ago

छोटी सोच व पैरो की मोच कभी आगे बढ़ने नही देती।

दुनिया मे सबसे ताकतवर चीज है हमारी सोच ! हम अपनी लाइफ में जैसा सोचते…

3 years ago

Solar Eclipse- Surya Grahan 2020, सूर्य ग्रहण 2020- Youngisthan

सूर्य ग्रहण 2020- सूर्य ग्रहण कब है, सूर्य ग्रहण कब लगेगा, आज सूर्य ग्रहण कितने…

3 years ago

कोरोना के लॉक डाउन में क्या है शराबियों का हाल?

कोरोना महामारी के कारण देश के देश बर्बाद हो रही हैं, इंडस्ट्रीज ठप पड़ी हुई…

3 years ago

क्या कोरोना की वजह से घट जाएगी आपकी सैलरी

दुनियाभर के 200 देश आज कोरोना संकट से जूंझ रहे हैं, इस बिमारी का असर…

3 years ago

संजय गांधी की मौत के पीछे की सच्चाई जानकर पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक जाएगी आपकी…

वैसे तो गांधी परिवार पूरे विश्व मे प्रसिद्ध है और उस परिवार के हर सदस्य…

3 years ago