अक्सर अपने बयानों से विवादों में घिरे रहने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक के प्रमुख मोहन भागवत ने हिंदुओं को लेकर एक अपील की है। मोहन भागवत ने हिंदुओं को कोट करते हुए कहा कि “यदि कोई शेर अकेला होता है, तो जंगली कुत्ते भी उस पर हमला कर उसे अपना शिकार बना लेते हैं”।
उन्होंने हिन्दु समुदाय के नेताओं और लोगों से अपील की है कि वे एकजुट हो और मानवता व हिंदुत्व की बेहतरी के लिए काम करें।
मोहन भागवत का कहना है कि हिंदू समाज हजारों सालों से प्रताड़ित है। दूसरे जाति समाज के तबके के लोग हिंदू समाज को दबाने की कोशिश करते हैं। इस सभा में एक ओर जहां उन्होंने हिंदू समाज को एकजुट होकर मानवता की बेहतरी के लिए काम करने को कहा, तो वहीं दूसरी ओर उन्होंने विश्व हिंदू कांग्रेस में शामिल हुए 2500 प्रतिनिधियों को भी संबोधित किया और कहा कि “हिंदुओं में अपना वर्चस्व कायम करने की कोई आकांक्षा नहीं है”
उन्होंने कहा कि “हिंदू समाज तभी समृद्ध होगा, जब पूरा हिन्दु समाज एकजुट हो एक समाज के रूप में काम करेगा”। अपने इस अर्थ को समझाने के लिए उन्होंने भारतीय समाज को जंगल का शेर बताते हुए कहा कि यदि कोई शेर अकेला होता है, तो जंगली कुत्ते भी उस पर हमला कर उसे अपना शिकार बनाने की कोशिश करते हैं।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा हिंदुओं में अपना वर्चस्व कायम करने की क्षमता नहीं है
राष्ट्रीय स्वयंसेवक के प्रमुख मोहन भागवत ने हिंदू समाज को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे काम के शुरुआती दिनों में हमारे कार्यकर्ता जब हिंदुओं को एकजुट होने की बात कहते और उन्हें इसका महत्व समझाते, तो वह कहते थे कि “शेर कभी झुंड में नहीं चलता”। लेकिन आज मैं उन लोगों को बता दूं कि जंगल का शेर या रॉयल टाइगर भी अगर अकेला जंगल में चलता है, तो कुत्ते उस पर हमला कर उसे अपना शिकार बनाने की कोशिश करते हैं। वहीं दूसरी और उन्होंने हिंदू समाज को प्रतिभावान बताते हुए प्रतिभावान लोगों का जिक्र कर कहा कि “हिंदुओं का एक साथ आना अपने आप में एक मुश्किल चीज है”। साथ ही हिन्दु समाज को संबोधित कर कहा कि हिंदू धर्म में कीड़े को भी नहीं मारा जाता, बल्कि हम उस पर भी नियंत्रण करने की कोशिश करते हैं। हिंदू समाज कभी किसी का विरोध नहीं करता, हम कभी किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते, बल्कि जो हमें नुकसान पहुंचाता है हम उस से भी बिना नुकसान पहुंचाए निपटारा करने का प्रयास करते हैं
सुप्रीम कोर्ट के समलैंगिकता फैसले पर भी बोले राष्ट्रीय स्वयंसेवक के प्रमुख मोहन भागवत
हिंदू समाज पर भाषण देने के बाद मोहन भागवत ने हाल ही में आए सुप्रीम कोर्ट के समलैंगिकता फैसले पर भी बात की। इस दौरान उन्होंने कहा कि “आशीर्वाद की भावना अच्छी है, आधुनिकता विरोधी नहीं हूं और भविष्य हितैषी हूं” इसलिए सुप्रीम कोर्ट के समलैंगिकता फैसले का विरोध नहीं करता। साथ ही कहा “समलैंगिक संबंधों को अपराध नहीं मानते, लेकिन उसका समर्थन भी नहीं करते”
राष्ट्रीय स्वयंसेवक के प्रमुख मोहन भागवत ने समूची दुनिया को एक टीम के रूप में बदलने की कुंजी नियंत्रित अहं और सर्वसम्मति को स्वीकार करना बताया। साथ ही इसके लिए उदाहरण पेश करते हुए उन्होंने भगवान कृष्ण और युद्धिष्ठिर के जीवन का सहारा लेते हुए कहा कि भगवान कृष्ण और युद्धिष्ठिर ने कभी एक-दूसरे का खंडन नहीं किया है। ठीक उसी तरह हमें भी एक साथ काम करने की सर्वसम्मति स्वीकार करनी चाहिए। उन्होंने लोगों से इस विषय पर कार्यप्रणाली विकसित करने और चर्चा करने का आग्रह किया।