मुस्लिम ब्रदरहुड – जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव नज़दीक आ रहे हैं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के तेवर और तल्ख होते जा रहे हैं.
नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला करने का वो कोई मौका नहीं छोड़ते. इन दिनों राहुल जर्मनी में है और वो विदेशी धरती से भी जमकर बीजेपी पर हमला कर रहे हैं. राफेल डील के लिए सरकार को लपेटे में लेने के बाद राहुल ने आरएसएस (राष्ट्रीय स्वंय सेवकसंघ) की तुलना सुन्नी इस्लामी संगठन मुस्लिम ब्रदरहुड से कर दी.
चलिए आपको बताते हैं आखिर ये मुस्लिम ब्रदरहुड है क्या?
नाम से शायद आप इसे मुस्लिमों के भाईचारे से जोड़ दें, लेकिन हम आपको बता दें कि मुस्लिम ब्रदरहुड मिश्र का सबसे पुराना और बड़ा इस्लामी संगठन है जिसे कई देश आतंकी संगठन भी मानते हैं. इसे इख्वान अल- मुस्लमीन के नाम से भी जाना जाता है. इसकी स्थापना 1928 में हसन अल-बन्ना ने की थी. मुस्लिम ब्रदरहुड का एक मुख्य मकसद है कि देश का शासन इस्लामी कानून यानी शरिया के आधार पर चलाना है. अरब देशों में सक्रिय इस संगठन पर आतंकवाद को बढ़ावा देने का भी आरोप लगता रहा है.
यही नहीं अल कायदा को मुस्लिम ब्रदरहुड का आतंकी चेहरा माना जाता रहा है. समय समय पर दोनों के लिंक सामने आते रहे हैं. आतंकी संगठन अल कायदा के पूर्व प्रमुख और 9/11 अमेरिकी हमले के मास्टरमाइंड ओसामा बिन लादेन भी पहले मुस्लिम ब्रदरहुड का सदस्य हुआ करता था.
मिस्र में इस संगठन को फिलहाल अवैध करार दिया जा चुका है.
मुस्लिम ब्रदरहुड को सबसे बड़ी सफलता भी इसी देश में मिली. संगठन ने कई दशक तक सत्ता पर काबिज रहे राष्ट्रपति होस्नी मुबारक को बेदखल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. जनांदोलनों की वजह से फरवरी 2011 में होस्नी मुबारक को सत्ता से हटना पड़ा था. उस आंदोलन में मुस्लिम ब्रदरहुड की ओर मोहम्मद मुरसी विरोध का चेहरा बने थे.
आपको बता दें कि 1940 में ही इस संगठन की संख्या 20 लाख तक पहुंच गई थी. बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार यही वजह है कि संगठन के संस्थापक बन्ना ने एक हथियार बंद दस्ते का भी गठन किया जिसका मकसद ब्रिटिश शासन के खिलाफ बमबारी और हत्याओं को अंजाम देना था. मुस्लिम ब्रदरहुड का सबसे चर्चित नारा है, “Islam is the Solution” (“इस्लाम ही समाधान है”)
1954 में मिस्र के राष्ट्रपति गमाल अब्देल नासर की हत्या के असफल प्रयास के बाद मुस्लिम ब्रदरहुड को प्रतिबंधित कर दिया गया. इसके बाद संगठन के सदस्यों को अंडरग्राउंड होना पड़ा. मुस्लिम ब्रदरहुड ने मिस्र की राजनीति में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. बहरीन, मिस्र, रूस, सऊदी अरब, सीरिया और संयुक्त अरब अमीरात मुस्लिम ब्रदरहुड को आतंकी संगठन मानते हैं. इसके बावजूद कई इस्लामी देशों में मुस्लिम ब्रदरहुड से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर जुड़ी पार्टिया राजनीति में हैं.
वहीं मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका भी मुस्लिम ब्रदरहुड को आतंकी संगठन घोषित कर सकता है. आपको बता दें कि अपने एक भाषण में आरएसएस की तुलना मुस्लिम ब्रदरहुड से करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि आरएसएस भारत के हर संस्थान पर कब्जा करना चाहता है और देश के स्वरूप को ही बदलना चाहता है. राहुल ने एक आतंकी संगठन से आरएसएस की सीधे तुलना कर दी.
चुनाव नज़दीक आ रहे हैं ऐसे में हर पार्टी एक-दूसरे को नीचा दिखाने की पूरी कोशिश करेगी और राहुल का बयान भी इसी संदर्भ में देखा जा सकता है.
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