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इस बैंक में रुपये नहीं रोटियां मिलती है वो भी मुफ्त में!

अक्सर हम सुनते और पढ़ते है कि बहुत से लोग खाने के अभाव में मर जाते है.

सड़क पर चलते हुए भी हम ऐसे लोगों को देखते है जो दाने दाने के लिए मोहताज़ होते है.अब ज़रा सोचिये कितन अच्छा हो कि इन सब लोगों को दो वक्त की रोटी मिल जाए. अगर ऐसा हो जाये तो ना जाने कितनी जाने बच सकती है.

अब शायद ऐसा मुमकिन हो सकता है, एक छोटी सी शुरुआत हुई है और अगर इसे लोगों का समर्थन मिला तो ये मुहीम बहुत सी जाने बचाने में सहायक हो सकती है.

आपने रुपये पैसे के लेनदेन वाले बैंक, ब्लड बैंक और दूध बैंक के बारे में तो सुना होगा, क्या आपने रोटी बैंक के बारे मे सुना है?

जी हाँ रोटी बैंक, अपने किस्म का अनूठा बैंक जहाँ जमा होती है रोटियां.

हाल ही में महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में भारत के तीसरे रोटी बैंक की स्थापना की गयी है. इस बैंक में लोग रोज़ अपने घर में बनी रोटी और साथ ही कुछ मात्रा में सब्ज़ी जमा करवाने आते है. इस बैंक में गरीब और जरूरतमंद आकर अपना पेट भरते है.

ऐसा नहीं कि यहाँ बचा कुचा बासी खाना मिलता है यहाँ मिलने वाली रोटियां एक दम ताजी होती है.

आइये आपको बताते है कि इस अनोखे रोटी बैंक की शुरुआत कहाँ और किसने की थी.

उत्तरप्रदेश के बुंदेलखंड में दिसम्बर में पहले रोटी बैंक की स्थापना हारून मुक्ति इस्लामिक सेंटर के युसूफ मुक्ति ने की थी. अपने परिवार के साथ मिलकर उन्होंने रोटी बैंक के सपने को साकार किया.

उन्होंने लोगों से कहा कि इस रोटी बैंक के सदस्य बने और लोगों को भूख से मरने से बचाएं. युसूफ के इस अनोखे बैंक को जनता का समर्थन मिला और पहले दिन ही करीब 250 लोग इस बैंक के सदस्य बन गए.

बुंदेलखंड की सफलता के बाद झारखण्ड में भी ऐसा ही यो रोटी बैंक खोला गया. इस बैंक का सदस्य बनाना बेहद आसान है आपको बस एक फॉर्म भरना होता है.

जिसमें लिखा होता है कि आप रोज़ अपने घर में बने खाने की कुछ मात्रा इस बैंक में ज़मा करवाएंगे. रोटी बैंक में जमा होने वाले खाने की जांच भी की जाती है कि कहीं ये पुराना या बासी खाना तो नहीं है.

बुंदेलखंड और झारखण्ड के बाद हाल ही में औरंगाबाद में इस तरह के तीसरे बैंक की स्थापना की गयी है. इस बैंक के जरिये बहुत से लोगों का पेट भरा जा रहा है. इसके लिए कोई पैसा नहीं लिया जाता आपको सिर्फ अपने घर पर बनी रोटी और थोड़ी सी सब्ज़ी जमा करवानी होती है.

अब इस मुहीम में बहुत से होटल और रेस्टोरेंट भी शामिल हो गए, इन जगहों में बहुत सा खाना खराब जाता है लेकिन अब इस खाने से बहुत से लोगों का पेट भरने लगा है.

इस रोटी बैंक के सदस्यों के अलावा जिन लोगों के घर में विवाह या कोई अन्य समारोह होता है वो लोग भी बचा हुआ खाना यहाँ जमा करवाने आने लगे है.

युसूफ मुक्ति की ये मुहीम बहुत से लोगों का पेट भरने में सफल हो रही है. जिन्हें खाने के लिए दर दर भटकना पड़ता था उनके लिए युसूफ मुक्ति किसी फ़रिश्ते से कम नहीं है.

आशा करते है कि इस तरह के रोटी बैंक पूरे देश में खोले जाए जिससे बूख से मरने वालों को बचाया जा सके.

Yogesh Pareek

Writer, wanderer , crazy movie buff, insane reader, lost soul and master of sarcasm.. Spiritual but not religious. worship Stanley Kubrick . in short A Mad in the Bad World.

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Yogesh Pareek

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