रोहिंग्या मुसलमान जम्मू-कश्मीर में अवैध रूप से रह रहे हैं – गृहमंत्री राजनाथ सिंह जम्मू कश्मीर बसे मुसलमानों को लेकर एक ऐसा निर्णय करने जा रहे हैं कि उसके बाद देश की स्वयंभू सेक्युलर बुद्धिजीवी जमात में हाहाकार मचना तय है.
हो सकता है इसको लेकर कश्मीरी मुस्लिम नेता भी आपत्ति करें. क्योंकि ये मामला मुसलमानों से जुड़ा है. लिहाजा इस बात की प्रबल संभावना है कि दोनों ही इसको मोदी सरकार की मुस्लिम विरोधी नीति कहकर प्रचारित करेंगे.
आपको बता दें कि म्यांमार के दस हजार से ज्यादा रोहिंग्या मुसलमान जम्मू-कश्मीर में अवैध रूप से रह रहे हैं. केंद्र और राज्य सरकार की मदद से इनकी पहचान करने और इन्हें वहां से निकालने के प्रयास शुरू कर दिए है.
इसी को लेकर गृहमंत्री राजनाथ सिंह, गृह सचिव राजीव महर्षि, जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक एस पी वैद और खुफिया एजेंसियों के प्रमुखों के साथ हुई एक उच्चस्तरीय बैठक भी है. इसमें जम्मू-कश्मीर में रोहिंग्या मुसलमानों पर गंभीर चर्चा हुई.
बता दें कि उच्चस्तरीय बैठक में अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्या मुसलमान को राज्य के बाहर निकालने पर रणनीति बनी है. जम्मू और सांबा जिलों में रह रहे ज्यादातर रोहिंग्या मुसलमान ने देश में भारत-बांग्लादेश सीमा, भारत-म्यांमार सीमा और बंगाल की खाड़ी के रास्ते अवैध रूप से प्रवेश किया है.
लेकिन इनको लेकर खुफिया ब्यूरों की सबसे बड़ी चिंता यह है कि रोहिंग्या मुसलमान देश के बाकी राज्यों को छोड़कर जम्मू कश्मीर में ही क्यों बसे. जबकि वहां पहले से अनु 370 के चलते भारत के बाकी राज्यों को भी नागरिक अधिकार नहीं मिलते हैं.
आखिर क्या वजह हो सकती है कि ये लोग देश के बाकी राज्यों को छोड़कर इतनी दूर जम्मू कश्मीर में शरण ले रह हैं. कहीं ये किसी विशेष योजना के तहत तो यहां नहीं बस रहे हैं.
कुछ ने तो खुद को संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी निकाय से पंजीकृत करवा रखा है, जबकि भारत उन्हें मान्यता नहीं देता. ऐसे में राज्य में इनकी बढ़ती संख्या सही नहीं है.
क्योंकि यदि इनको समय रहते नहीं रोका गया तो बाकी जगहों से भी रोहिंग्या मुसलमान यहां आकर बसने लगेंगे. बता दें कि देश में विभिन्न हिस्सों में करीब 40,000 रोहिंग्या मुसलमान रह रहे हैं और वे सभी अवैध तरीके से भारत में घुसे हैं.
यही नहीं आगे चलकर ये स्थानीय लोगों से घुल मिल जाएंगे और उनके यहां वैवाहिक संबंध भी बना लेंगे तो फिर इनको यहां से निकालने में भी कठिनाई आएंगी. लिहाजा समय रहते ही इनको यहां निकालकर कहीं ओर शिफ्ट किया जाए.
यही कारण है कि गृह मंत्रालय ने रोहिंग्या मुसलमानों की पहचान करने और उन्हें वहां से हटाने के रास्ते तलाशने शुरू कर दिए हैं.