रॉबर्ट क्लाइव – कभी हमारा देश सोने ही चिड़िया कहलाता था, लेकिन आज भारत जिस भी हालत में है उसका जिम्मेदार पहले तो अंग्रेज है, जिन्होंने 200 सालों तक भारत को लूटा था.
और दूसरे जिम्मेदार लोग वो है जिन्हें चुनकर हम भारत की सत्ता उनके हाथों में देते है.
खैर आज हम भारतीय राजनीति को लेकर कोई आरोप-प्रत्यारोप नहीं करेंगे बल्कि आज हम आपको एक ऐसे शख्स के बारे में बताएंगे जिसकी वजह से भारत 200 सालों तक अंग्रेजों का गुलाम रहा था.
उस शख्स का नाम है रॉबर्ट क्लाइव, जिसके पैदा होने की तारीख 29 सितम्बर 1725 थी.
यही वही शख्स था जिसने भारत में अंग्रेजो की किस्मत लिखी थी. 1744 में क्लाइव पहली बार ईस्ट इंडिया कंपनी का एजेंट बनकर इंग्लैंड से मुंबई के लिए रवाना हुआ था. लेकिन उस समय जहाज से भारत में आने में ही एक साल लग जाते थे. इस एक साल की यात्रा के दौरान क्लाइव ने पुर्तगाली भाषा सीख ली. उस समय 1707 के आसपास मुग़ल बादशाह औरंगजेब की मृत्यु हो चुकी थी जिससे साम्राज्य कमजोर हो चला था. उस समय फ़्रांस, पुर्तगाल, ब्रिटेन जैसे कई देशों की बुरी नज़र भारत पर थी. क्लाइव चालाक और अति क्रूर किस्म का व्यक्ति था और भारत में आते ही उसने अपनी कुछ चाले चली जिसमे वो कामयाब रहा और वह अपने सीनियर्स की नज़र में आ गया और ब्रिटिश सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल बन गया.
लेकिन रॉबर्ट क्लाइव को बड़ी पहचान मिली बंगाल में.
उस समय 1756 में बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला हुआ करते थे. उस समय कलकत्ता पर नवाब का कब्ज़ा था, लेकिन मीर जाफ़र जो कि उस वक्त नवाब का सेनापति था ने गद्दारी और चालाकी से नवाब को हरवा दिया. मीर जाफर और क्लाइव के बीच समझौता हुआ. 21 जून 1757 को प्लासी के युद्ध में सिराजुद्दौला और क्लाइव की सेनायें आमने-सामने थी. इस पूरे युद्ध में नवाब की बड़ी फौज अंग्रेजो पर भारी थी, लेकिन मीर जाफर जैसा गद्दार जिसके साथ हो उसका तो हारना तय है. नवाब की हार के दो कारण बने एक तो ख़राब मौसम और बारिश जिसकी वजह से नवाब की तोपों का बारूद ख़राब हो गया. दूसरा मीर जाफर सेना के एक बहुत बड़े हिस्से को जंग के मैदान से कही दूर ले गया.
इस तरह रॉबर्ट क्लाइव जीता नहीं लेकिन नवाब हार गए.
इस जीत ने अंग्रेजो को बंगाल में कब्ज़ा दिला दिया. जिसके बाद 1764 में बक्सर की लड़ाई में भी रॉबर्ट क्लाइव की चालाकी और धोखेबाजी ने जीत दिलाई. धीरे-धीरे क्लाइव ने जितने भी कमजोर शासक थे उनको साधना शुरू किया. इलाहाबाद की संधि में भी क्लाइव की छल कपट की निति काम आई. उस समय बंगाल ब्रिटेन से भी अमीर हुआ करता था, और क्लाइव ने उसे लूटकर खूब दौलत कमाई. बताया जाता है कि जब क्लाइव ब्रिटेन लौटा तो उस समय वह पूरे यूरोप का सबसे अमीर इंसान बन गया.
ये भारत की लूट का ही पैसा था.
भारत को बर्बाद करने में क्लाइव का सबसे बड़ा हाथ था, उसकी चालाक नीतियों से ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत के दूसरे हिस्सों में अपनी जगह बनाई. उसने बहुत अत्याचार किये, लोगों को गुलाम बनाकर रखा, ऊँचे टेक्स लगाए, कृषि की ऐसी नीतियाँ बनाई की किसान बर्बाद हो गए. उस पर करीब एक करोड़ लोगों की हत्या का आरोप भी है. क्योंकि 1770 में बंगाल में भयंकर अकाल पड़ गया प्रभावित इलाके के एक करोड़ लोग भूख से तड़पकर मर गए.
जब रॉबर्ट क्लाइव रिटायर होकर ब्रिटेन वापस चला गया तो उसे ब्रिटिश संसद में भ्रष्टाचार के आरोप झेलने पड़े जितना जुल्मों-सितम उसने भारत पर किया उतना ही दुखद उसका अंत भी हुआ. बाद में 1774 में उसने आत्महत्या कर ली. आज भी इतिहास में क्लाइव का नाम बेहद क्रूर, पत्थर दिल, अत्याचारी तुनकमिजाज और साइकोपैथ के रूप में दर्ज है.
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