पत्रकारिता – गरीबी इंसान से क्या कुछ नहीं करवाती.
गरीबी से बेकार और कोई चीज़ नहीं होती. ज़रा कल्पना कीजिये की आपके देश में हर दिन लड़ाई हो रही हो और आपकी फैमिली बिखर जाए. बस आपकी बेटी बची हो.
ऐसे में आपका काम-धंधा तो बंद हो ही गया है. देश की हालत इतनी खराब है की कभी भी कुछ हो सकता है.
आज हम आपको उसी देश की कहानी सुनाने जा रहे हैं जहाँ हर पल गोली और बम की आवाजें आती हैं. कभी भी कोई भी मर सकता है. जी हाँ, ये कहानी है सीरिया की. सीरिया का गृह युद्ध न जाने कब समाप्त होगा. इस देश की हालत इतनी खराब है की लोगों को अपना पेट भरने के लिए सड़कों पर सामान बेचना पड़ रहा है.
एक ऐसा ही मजबूर पिता हाथ में पेन और कंधे पर अपनी बेटी को लिए सिग्नल-सिग्नल पेन बेच रहा है ताकि वो रात को अपनी बेटी और खुद के लिए खाने का इंतज़ाम कर सके.
दुनिया में गरीबी कम नहीं है हर जगह गरीबी ही है लोग सडको पर भिक माग रहे है कड़ी धुप में सिग्नल में खड़े हो रहे है आज हम आपको इस तस्वीर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे जानने के बाद आप भी हैरत में पड़ जायेंगे.
सिर्फ इस पिता की ही नीं बल्कि ऐसे हर उस आम इंसान की जिंदगी नरक बन गई है जिसके सत्ता और अमीरी से कोई वास्ता नहीं.
सीरिया में युध्द कभी ख़त्म नहीं होगा, इसलिए यहाँ के लोग आसपास के देशों में जाकर अपनी रोज़ी रोटी कमा रहे हैं.
कई लोग लेबनान के शहर बेरुत में हैं जो सड़कों में पर ही अपना जीवन गुजारने को मजबूर हैं. इसके लिए वह वहां छोटे-मोटे काम करके अपना और अपने बच्चों का पालन पोषण कर रहे हैं.
आपकी जानकारी के लिए बता दें ऐसा ही कुछ इस शख्स के साथ हुआ जो वहां छिडे गृह युद्ध को लेकर अपनी बेटी को लेकर बेरुत आ गये थे. अपना पालन पोषण करने के लिए वह बेरुत की सड़कों पर घूम-घूम कर पेन बेचना शुरू कर दिया. इस बन्दे की किसी ने फोटो खींच ली और सोशल मीडिया पर शेयर कर दिया.
ये थी सही पत्रकारिता – सोशल मीडिया इस बाप के लिए वरदान साबित हुआ.
दिनभर कुछ रूपए कमाने वाला यही बाप आज करोड़ों का मालिक हो गया है. फोटो में आप सभी भी देख सकते हैं कि कैसे तपती दोपहरी में घूम-घूमकर अब्दुल नाम का यह शख्स अपनी बेटी को कंधे पर टांगकर पेन बेच रहा है. किसी शख्स ने अब्दुल का यह फोटो सोशल मीडिया पर डालते हुए लिख दिया कि एक पिता का यह हाल देखकर आपका दिल पसीज जायेगा बता दें वायरल हो रहे इस फोटो को नॉर्वे के एक जर्नलिस्ट गिसर सिमोनारसन ने ट्विटर पर @buy_pens के नाम से अकाउंट बनाया और अब्दुल को फंडिंग के लिए अपील की जिसके बाद लोगों का दिल पसीज गया. उस फोटो को देखकर लोगों ने खूब मदद की.
उस पत्रकार ने महज़ ५ हज़ार डॉलर का लक्ष्य बनाया था लेकिन दुनिया भर से लोगों ने 1 लाख 90 हजार डॉलर का सहयोग दे दिया. ये था उस पत्रकार की पत्रकारिता का पावर.
इस पत्रकार की वजह से सड़क पर पेन बेचने वाला आज न सिर्फ करोडपति बन गया, बल्कि वो अपने जैसे तमाम शरणार्थियों को नौकरी पर रख लिया और अपने जैसे लोगों की मदद भी कर रहा है. इसे कहते हैं सही पत्रकारिता.
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