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क्या अमीरों को दर्द कम होता है?

अमीर

अमीर – अक्सर हम ऐसा लोगों को कहते सुने हैं कि जब पैसा होता है तो बड़े से बड़ा दुःख भी छोटा लगने लगता है.

पैसे से आज दुनिया का हर सुख आप खरीद सकते हैं. भले ही आपके ऊपर दुखों का अम्बार हो, लेकिन अगर जेब भरी है तो सुकून होता है. गरीबों की जेब भी खाली होती है और दुःख का अम्बार भी बहुत होता है.

शायद इसीलिए गरीबों का दुःख कभी कम नहीं होता, क्योंकि उनके पास पैसे कभी नहीं होते.

तो क्या इसका मतलब ये हुआ कि अगर जेब में पैसा हो तो दुःख नहीं या फिर जो लोग अमीर हैं उनके पास दुःख नहीं है.

जी नहीं, इसका ये मतलब है कि अगर पैसा आपकी जेब में हो तो आपका ग़म कम हो जाता है. या यूँ कह लीजिए की तभी अमीर लोगों को दर्द कम होता है. वो आम इंसान की तरह किसी दुःख पर टूट नहीं जाते.

शायद वो ज्यादा प्रैक्टिकल हो जाते हैं.

इसका ताज़ा उदाहरण श्रीदेवी के परिवार से ले लीजिए.

२४ फ़रवरी को श्रीदेवी की मृत्यु हो गई. उनका परिवार काफी सदमें था, लेकिन जाह्नवी का इसी मार्च में जन्मदिन था और सभी सदस्यों ने उसे सेलिब्रेट किया. आम परिवार में आपको ये देखने को नहीं मिलता. जब किसी की मौत हो जाती है तो आम परिवार में पूरे एक साल तक कोई भी शुभ काम नहीं होता.

न तो कोई पूजा, न बर्थडे और न ही कोई शादी ब्याह. लेकिन श्रीदेवी के घर में ऐसा हुआ.

उनकी बेटी जान्हवी कपूर ने अपना बर्थडे मनाया और उनके सभी दोस्त और परिवार वाले मौजूद थे.

बाकायदा उस विडियो को सोशल मीडिया पर भी शेयर किया गया. तो क्या इन अमीरों के सीने में दिल नहीं होता? या फिर ये किस मिटटी के बने होते हैं. वो इंसान ही होते हैं और मिटटी के ही बने होते हैं.

जो खून आपके अंदर बह रहा है वाही उनके अंदर भी, लेकिन आपसे ज्यादा दुनिया देखने वाले ये अमीर लोग जीवन और मृत्यु को ख़ुशी ख़ुशी लेते हैं.

किसी के जाने के बाद उनकी दुनिया ख़त्म नहीं हो जाती. उन्हें दर्द इसलिए कम होता है, क्योंकि उनका अपना जो अभी इस दुनिया से रुखसत हुआ है, उसने अपनी लाइफ को सही तरह से एन्जॉय किया.

उसे जीवन में कोई तकलीफ नहीं हुई. उनके अपने के जाने के बाद ये लोग उसे ख़ुशी ख़ुशी बिदाई देते हैं. या हूँ कहें तो इन्हें इस बात की तसल्ली रहती है  कि इनका अपना एक सुखी जीवन जीकर गया.

सच्चाई तो सभी जानते हैं कि ओ आया है वो एक दिन मरेगा भी.

गरीब के साथ ये नहीं होता. एक गरीब दो जून की रोटी के लिए पूरा जीवन संघर्ष करता रहता है. ऐसे में अगर कभी उसे कोई अच्छी सी जॉब लग गई तो वो अपने परिवार को सारी खुशियाँ देना चाहता है. लेकिन जब बीच में ही उनके अपनों की मौत हो जाती है तो वो कसक उनके सीने में रह जाती है. वो यही सोचते रह जाते हैं कि काश १-२ साल उनका अपना और जी जाता तो वो सारी खुशियाँ दे देते.

यही जीवन का सत्य है. आप जब खुश और संपन्न रहते हैं तो दुःख आपका कुछ नहीं बिगाड़ पाता. शायद इसीलिए अमीरों को दर्द कम होता है.