भारत की समृद्ध सभ्यता – दक्षिण भारत के कर्नाटक में तुंगभद्रा नदी के तट पर स्थित हम्पी एक बेहद ही प्राचीन नगर है जिसका जिक्र रामायण काल में भी मिलता है. हम्पी मध्यकालीन हिंदू राज्य विजयनगर साम्राज्य की राजधानी हुआ करती थी.
आज यह प्राचीन नगर सिर्फ खंडहरों के रुप में ही बचा है. लेकिन इन खंडहरों में आज भी भारत के इस प्राचीन नगर के समृद्धशाली सभ्यता की झलक देखने को मिलती है. यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत स्थलों की सूचि में शामिल हम्पी का करीब से दीदार करने और उसकी प्राचीन सभ्यता को करीब से जानने के लिए हर साल हजारों सैलानी यहां आते हैं.
तो चलिए आज हम आपको भारत की समृद्ध सभ्यता का दर्शन करवाते है. रामायण काल के इस प्राचीन नगर के इतिहास और खासियतों से रूबरू कराते हैं जिसे जानने के बाद आप भी हम्पी को करीब से देखना जरूर चाहेंगे.
भारत की समृद्ध सभ्यता –
रामायण काल में हम्पी का नाम था किष्किंधा
वर्तमान के हम्पी को रामायण काल में किष्किंधा के नाम से जाना जाता था इस शहर का जिक्र रामायण में मिलता है. स्थानीय लोगों और लोक कथाओं के अनुसार इस क्षेत्र में रामायण काल में वानरों का राज हुआ करता था.
यही वो जगह है जहां राम और लक्ष्मण, माता सीता की खोज करने के लिए लंका जाने से पहले ठहरे थे. आज भी यहां के पहाड़ों और कई स्थानों पर सुग्रीव, बाली, हनुमान, श्रीराम और लक्ष्मण के रुकने के प्रमाण मिलते हैं.
काफी दिलचस्प है हम्पी का इतिहास
रामायण काल की किष्किंधा नगरी 13वीं से 16वीं शताब्दी तक विजयनगर के राजाओं की राजधानी हम्पी के रुप में समृद्ध हुई. हम्पी नाम हम्पादेवी के मंदिर के कारण पड़ा. हम्पादेवी मंदिर ग्यारहवीं से तेरहवीं शताब्दी के बीच बनवाया गया था.
बताया जाता है कि पहली शताब्दी से तीसरी शताब्दी के दौरान हम्पी सम्राट अशोक के साम्राज्य का भाग हुआ करता था बाद में यह विजयनगर की राजधानी बना.
हिंदूओं के सबसे विशाल साम्राज्यों में शुमार विजयनगर की स्थापना 1336 ई. में हरिहर और बुक्का नाम के दो भाईयों ने की थी. जिसके बाद कृष्णदेवराय ने यहां 1509 से 1529 ई. के बीच शासन किया और अपने साम्राज्य का विस्तार किया.
उस दौरान विजयनगर साम्राज्य के अंतर्गत कर्नाटक, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश आते थे. उस समय विजयनगर में तकरीबन 5 लाख निवासी रहने लगे थे. कृष्णदेव राय की मृत्यु के बाद इस विशाल साम्राज्य को बीदर, बीजापुर, गोलकुंडा, अहमदनगर और बरार की मुस्लिम सेनाओं ने 1556 में नष्ट कर दिया.
ऐतिहासिक मंदिरों का शहर है हम्पी
हम्पी ऐतिहासिक मंदिरों से गुलजार एक ऐसा शहर है जिसका नाम पंपा से लिया गया है. पंपा तुंगभद्रा नदी का प्राचीन नाम है और हम्पी इसी नदी के किनारे बसा हुआ है. हम्पी में विट्ठलस्वामी का सबसे ऊंचा मंदिर है.
यहां स्थित विरुपाक्ष मंदिर को पंपापटी मंदिर भी कहा जाता है. इसके अलावा यहां पत्थरों से निर्मित हम्पी रथ है जो वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण पेश करता है. यहां स्थित बडाव लिंग हम्पी के सबसे बड़े लिंग का छायाचित्र है जो चारों तरफ से जल से घिरा हुआ है.
इसके अलावा यहां हज़ारा राम मंदिर है. जो 1000 से भी ज्यादा लकड़ियों की खुदाई और शिलालेख से रामायण की प्राचीन कथा के लिए जाना जाता है. इसी मंदिर के पास मौजूद है कमल महल जो इंडो-इस्लामिक शैली का मिश्रित रुप है. इसके साथ ही यहां स्थित रघुनाथ स्वामी मंदिर, हाउस ऑफ विक्ट्री और हाथीघर जैसी कई चीजें पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं.
हम्पी से जुड़ी है कई दिलचस्प बातें
1- हम्पी में स्थित हर पत्थर कोई ना कोई रहस्य उजागर करता है. यहां पर त्रिकोण आकार के दो पत्थर आपस में जुड़े हुए हैं जिन्हें सिस्टर स्टोन कहा जाता है. मान्यता है कि दो ईर्ष्यालु बहनें जब हम्पी घूमनें आई तो वो इस शहर की बुराई करने लगीं. लेकिन इस शहर की देवी ने जब दोनों की यह बातें सुनी तो उन्हें पत्थर में तब्दील कर दिया.
2- हम्पी के सबसे ऊंचे मंदिर में संगीतमय पिलर बने हुए हैं. हालांकि इसके पीछे के रहस्य को जानने के लिए ब्रिटिशों ने पिलर को तोड़ दिया था फिर भी वो इस रहस्य को नहीं जान सके. यहां आज भी टूटे हुए संगीतमय पिलर अपने वैभवशाली इतिहास को बयान करते हैं.
3- यहां स्थित मंदिर के पास जो सड़क है दरअसल प्राचीन समय में वहां घोड़ों की बिक्री के लिए बाजार सजते थे. आज भी इस जगह पर खंडहर के रुप में बाजार के वो दृश्य देखने को मिलते हैं.
4- कहा जाता है कि एक दौर ऐसा भी था जब हम्पी रोम से भी ज्यादा समृद्धशाली नगर हुआ करता था. विजयनगर साम्राज्य की राजधानी हम्पी आज भी संसार के सामने अपने गौरवशाली इतिहास को बयान करता है.
5- प्राचीन काल में समृद्धशाली सभ्यता के लिए मशहूर हम्पी वर्तमान में विकास की रफ्तार में काफी पीछे छूट गया है. यहां के निवासियों को आज भी नव वृंदावन मंदिर तक पहुंचने के लिए नाव के जरिए नदी पार करनी पड़ती है.
ये है भारत की समृद्ध सभ्यता – हम्पी की घाटियों और टीलों के बीच पांच सौ से भी ज्यादा स्मारक चिन्ह हैं. जिनमें आज भी इस शहर की सभ्यता और संस्कृति की झलक दिखाई देती है. इसलिए कहा जाता है कि हम्पी यहां आनेवाले पर्यटकों और श्रद्धालुओं के लिए किसी जन्नत से कम नहीं है.